खाना-पीना,टाँयलेट-वाशरुम जरुरी है !
इंसानो का सबसे जरुरी कार्य है ,खाना-पीना और उसको निकालने
टाँयलेट-वाशरूम का उपयोग जरुरी है । खाना-पीना और हगना-
मूतना ही मनुष्य को जिंदा रखा हुआ है । इन दोनो बातो को ही सही ढ़ग करना चाहिए और नियम
से करोगे तो निरोगी काया बनी रहेगी । जो भी इंसान अपना जीवन
नियम पूरक व्यतीत करता है वह कभी भी परेशान नही रहेगा । यदि एक भी नियम को छोड़ता है तो एक जरूरी काम उसे छोड़ना पड़ेगा । पूरे ब्राह्मड मे कही कोई जगह स्पेश खाली नही है । एक जगह बेठता है ,सत्संग करता है अथवा ज्ञान लेता है तो एक बुरी वस्तु छोड़कर नया ज्ञान लेकर उठता है । ब्राम्हंड हो या शरीर हो खाली स्पेश है ही नही । अतः ऐसे
मे आपका भी एक कर्तव्य है कि आप कही पर भी बैठे जगह साफ करके ही बैठे । यह नियम उसी नियम पर लागू होता है कि खाना-पीना और हगना-मूतना पर ।
पूरे संसार मे स्पैश खाली है ही नही। जब तक आप शरीर से बुरी चीज नही निकालेगें तब तक अच्छी
चीजो को प्रवेश नही कर पाऐंगे ।
जब तक आप पोट्टी नही करेगे तब तक स्वादिष्ट भोजन ग्रहण नही कर पाऐगे । अब आती है बारी पीने की तो आप जो कुछ भी पीते है उसे निकालने के लिए पेसाब करना पड़ता तभी तो इंसान पिसाब करते रहता है ताकि शरीर का स्पेस बैलेंस बना रहे । इस वजय हम कह सकते है कि वह प्राणी हो ,जानवर हो सभी मे एक ही प्रकार के नियम लागू होते है ।
प्रकृति के साथ साथ हमारे धर्मशास्त्रो ने नियमो और कर्मो को पालन करने हेतु अलग अलग नियम बनाऐ जिन्हें हम नही मानते
है और परेशान रहते है ।अतः सभी परेशानियों का हल नियम ही है तो हमारा फर्ज बनता है कि हम उसे अपने जीवन ग्रहण करे ।
इस प्रकृति की संरचना को अभी भी कोई नही समझ पाया है । वैज्ञानिक अथक प्रयास तो कर रहे है किन्तु अभी तक पूर्ण सफलता नही मिली है । प्राकृतिक आपदाओं
की घटनाओं के बारे अभी तक ज्ञात नही कर पा रहे है । समयानुसार हर चीजो का होना ना होना के बारे मे तथा क ई तथ्यो के बारे मे ज्ञात होना ना होना भी शौध का विषय है । शरारिक प्रक्रिया के बारे मे तो पता लगाया जा चुका है फिर भी थाह मे नही पहुच पाऐ है ।
अनुमान लगाया जा सकता है और उसके परिणाम निकाले जा सकते है किंतु आखिरी समय मे हार मान जाते है आपने डाँक्टरों के मुंह से सुना ही होगा कि वह सब कुछ हार
कर जब मरीज को नही बचा पाता है और कहता है कि भगवान ही अब बचा सकता है ।ऐसा क्यूं ?
हम जो भी काम करते है उसका परिणाम भी चाहते है चाहे वह काम
खाना खाने का ही क्यूं ना हो ! यदि आपने कुछ भी खाया या पिया है तो मल-मूत्र को भी निकालना होगा
अन्यथा उसके परिणाम हो सकते है । प्रकृति मे रहने वाले सभी जीव जन्तु सजीव हो या निर्जीव हो किसी भी लोक हो उसे नियमो के अधीन रहकर कार्य करना ही होगा ।
लेखक-आलोचक काउसलर -
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