सरकार की नीयत पर उठते सवाल ।

सरकार के क्रियाकलापो मे हमेशा से विरोधी पक्ष सवाल उठाते रहे है
किन्तु इस पर इस बात को सिध्द कर दिया हमारे देश के कानून ने ।
सरकार चलाने वालो को इस बात से सबक लेना चाहिए  और इस पर
ऐसी बाते दुबारा न हो अन्यथा लोगो को कानून पर से भरोसा उठ। जाऐगा ।
       .. सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है कोर्ट ने कहा है कि कॉलेजियम को की ओर से सिफारिश किए गए नामों को मंजूरी देने में की जा रही देर नियुक्ति के तरीके को विफल कर रही है ।
       जस्टिस 11 पॉल और जस्टिस ए एस ओ का की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत की तीन जजों की पीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए समय निर्धारित की थी उस समय सीमा का पालन करना होगा जस्टिस ऑल ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार इस तथ्य से नाखुश है कि सरकार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को मंजूरी नहीं मिली लेकिन यह देश के कानून के शासन को नहीं मानने की वजह नहीं हो सकती है कोर्ट ने सरकार पर अपनी टिप्पणी में कहा इस तरह के से नामों को लंबित रखकर वह जीतने का दिखावा कर रहे हैं ।
एन जे ए सी मामला
इस अदालत ने 2015 में एनडीए C9 राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम और संविधान 99 का संशोधन अधिनियम 2014 को रद्द कर दिया था इससे सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति करने वाली मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली बहाल हो गई थी सोमवार को सुनवाई के दौरान इस अदालत ने अटॉर्नी जर्नल आर वेंकटरमणि ने कहा कि ऑल सीएम द्वारा द्वारा ए के नामों और अनुशासित नामों को सरकार मंजूरी नहीं दे रही त कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया कि समय पर नियुक्ति के लिए पिछले 20 अप्रैल के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जो समय निर्धारित की थी उसको जानबूझकर अवज्ञा की गई है  । कोर्ट ने कहा हम अपना रोष पहले ही व्यक्त कर चुके हैं ।    केंद्र सरकार ने उत्तम न्यायालय कॉलेजियम से उन 20 फाइलों का पर पुनर्विचार करने को कहा है कि जो उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि अधिवक्ता सौरभ कृपाल की भी फाइल शामिल है जो खुद के समलैंगिक होने के बारे में बता चुके हैं सूत्रों ने कहा सिफारिश किए गए नामों पर केंद्र सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है और गत 25 नवंबर को फाइलें कॉलेजियम को वापस कर दी इन 20 मामलों में से 11 नए मामले हैं जबकि 9 मामलों को दोहराया गया है ।
क्या कहा केंद्रीय कानून मंत्री ने -
     केंद्रीय कानून मंत्री किरण जीतू ने कहा था कि संविधान सभी के लिए एक धार्मिक दस्तावेज है केंद्र पर कॉलेजियम की सिफारिश पर बैठने का आरोप नहीं लगाए जा सकता न्यायाधीशों को का निकाय सरकार से यह उम्मीद नहीं कर सकता कि उसकी सभी सिफारिशें मानी जाएगी ।
      यह बाते इस तरह से कानून और सरकार के बीच  से निकलते हुए आम हो गई जिसका मैसेज दुनिथा भर गलत जा रहा है । अतः यह गंभीरता लिऐ मामलो को अपने स्तर से निपटाया जाऐ ऐसी आशा के साथ -
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन   

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