विपक्ष के बिना लोकतंत्र को खतरा !
हमारे देश को आजाद हुऐ 75 साल हो गए है जिसमे से 48 साल तक विपक्ष की भूमिका शून्य रही ।
"पं०जवाहर लाल, राजीव गाधी और नरेन्द्र मोदी के शासन काल मे विपक्ष की भूमिका नगण्य रही ।"
अब ऐसी स्थिति मे समझने और कहने वाली बात यह है कि हम श्री नरेन्द्र मोदी के राज्य की तुलना हम पं०नेहरु और राजीव गांधी से कर सकते।
इस महंगाई और बेरोजगारी के युग मे यदि विपक्ष की स्थिति अच्छी होती तो तो देश की हालत मे शायद कुछ तो सुधार होता यदि नही भी होता तो सत्ता मे एक खौफ तो होता। इसलिए कहा गया है कि जिस देश मे विपक्ष मजबूत होता है वहां की सरकार सही ढ़ग से चलती है। हम लोग जो फिल्मों मे देखते है वही सब कुछ चल रहा है। ये सब हम आज से नही 50-60 सालो से शिक्षाप्रद फिल्में देख रहे है , कोई सुधार नही आया। फिल्म बनाने वाले दुनिया से अलविदा हो गए । सरकार जैसी थी वैसी चल रही है । सरकार चलाने वाले और भ्रष्टाचार करने वाले चंद लोग है जो करोड़े पर भारी पड़ रहे है । पहले जो विपक्ष मे बैठे थे वह सरकार चला रहे है। ये सब एक ही बिरादरी के लोग है जो सत्ता के लिऐ अपना ईमान धरम् बेच रहे है साथ ही भुगत भी रहे है। यहां पर विपक्ष मजबूत का आशय् ईमानदार लोगो से है ,सत्य की राह पर चलने वाले लोगो से है। किन्तु ऐसे लोग है कहां ? आज ईमानदारी की बड़ी बड़ी बाते करने वाले लोगो के हाथ मै सत्ता आने पर किस किस का भला किया है वह भी दिखाई दे रहा है । सत्ता की लड़ाई मे सब जायज है ऐसा मानते हुए शासन सरकार चल रही है। अब तो ऐसा लगने लगा है कि सत्तापक्ष कै लोग और विपक्ष के लोग मिलकर सत्ता चला रहै है और आमजनता को गुमराह कर रहे हे ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
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