भारत की पत्रकारिता संदेह के घेरे मे !"श्रीरामधुन"-लेखक-आलोचक
भारत की पत्रकारिता संदेह के घेरे मे दिनो - दिन घिरते नजर आ रही है ,इसे जल्द ही नही रोका गया तो इस पर से सभी लोगो का विश्वास का उठ जायेगा तो सच्ची परकारिता अंधेरो गुम हो जाऐगी और देश मे बढता खतरा और बढ़ जाऐगा ।
पत्रकार दो ही प्रकार के होते है --
1* ईमानदार और सत्य की राह पर चलने जो धीरे विलुप्त होते जा रहे है । उन्ही को बचाने के लिऐ टूस्ट माँ आदिशक्ति दर० धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट भोपाल के संस्थापक-
सम्पादक-अध्यक्ष-काउसंलर श्रीरामधुन ने अपनी टूस्ट मे पाँच-छ: वर्षो से भागवत् कथा का पाठ करवा रहे है ।
2* आज-कल के अधिकांश पत्रकार प्रोफेनल के साथ-साथ स्वार्थी हो गये है । ऐसे पत्रकारों मे अच्छी भावनाओं को संप्रेषण कर उनके भविष्य की सुरक्षा हेतु उक्त कार्य किया जाता है ।
टूस्ट मे पत्रकारों का आना-जाना लगा रहता है किंतु अभी तक कोई भी ऐसा मीडिया का पत्रकार नही आया जो टूस्ट के कार्यो के बारे अपनी अच्छी-बुरी राय दे सके।
टूस्ट को भी इसकी चिंता और परवाह नही है ।
( * 30 दिस०1944*
* 14 मार्च 2023 * )
उन्ही पत्रकारों मे से एक पत्रकार थे- डाँ० वेद प्रताप जो वैदिक हिन्दी
के मूर्धन्य पत्रकार,लेखक,संपादक ही नही थे ,एक व्यक्ति के रुप मे भी
वे बड़े ईमानदार चरित्रवान संस्कारवान थे विचारों पर मध्य विनता से उन्हें आपत्ति नहीं होती थी आर्य समाज परिवार में से वह आए थे दिल्ली में छात्र जीवन के दौरान जेएनयू में उन्होंने इस बात के लिए संघर्ष किया कि मैं हिंदी में ही अपना शोध पत्र लिखूंगा
एक बड़ा आंदोलन उन्होंने हिंदी के लिए खड़ा किया और अपनी बात को मनवा करे ही माने लेकिन अंग्रेजी और शेष भारतीय भाषाओं से उनका कोई विरोध नहीं था उनकी जीवनशैली सादगी भरी थी प्रगतिशील समाजवादी विचारधारा के लोगों से भी उनके संबंध सदैव आत्मीय रहे हैं उनमें किसी के प्रति व्यक्तिगत दुर्भावना या विध्देष नहीं रहता था ।
श्रीरामधुन -लेखक
वरिष्ठपत्रकार -आलोचक-काउसंलर
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