बंटवारे मे नफा-नुकसान होता ही है ! "श्रीरामधुन"

बंटवारे मे हमेशा नफा-नुकसान होता ही है इसी वजय से इसे अच्छा
नही माना गया है । बंटवारा अच्छा भी है और बुरा है ।यह बंटवारा हर युग से चला आ रहा है । और अभी भी चल रहा है । महाभारत की लड़ाई को आप क्या समझते  है  वह बंटवारा का रुप था । यह बंटवारा अभी चल रहा है । इस बंटवारे के रुप अनेको है ।देश का का बंटवारा हो या राज्य का बंटवारा हो फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है यह अभी तक होता आया है जैसे हिन्दुस्तान और पाकिस्तान का बंटवारे मे सबसे ज्यादा नुकसान भारत को हुआ । मुस्लिम लोग पूरे नही गये और सिंध प्रदेश के पूरे सिधी भारत मे आ गये । अब दोनो जातियो ने पूरे भारत की कायाकल्प करने कोई कसर नही छोड़ी ।अब स्थिती
बिल्कुल ही विपरीत हो ग ई है ।एक ने आबादी बढ़ाने मे तो दूसरे ने धन्धा व्यवसाय बढ़ा कर बेरोजगारी फैलाने मे कोई कसर नही  छोड़ी।
बटवारे का अर्थ-
* जायदाद संपत्ति या साजा मार्ग की बटाई साझेदारी की चीज का हिस्सा बात करना बटवारा कहलाता है
* फसल की तैयारी पर या इससे पहले उत्पादन की बटाई को भी बंटवारा कहते हैं
* तख्ती नामा को कागजात जिसमें तक्सीम या बंटवारे की शर्तें लिखी गई हो
* गांव में एक किसान के खेत को दूसरे खेत से अलग करने के लिए सरकारी तौर पर हदबंदी भी बंटवारा कहलाती है
* एक देश को जब दो देश के हिस्सों में बांटा जाता है तो उसे एक लिखित अध्यादेश के अनुसार बट किया जाए किया जाने वाला बटवारा कहलाता है
* ठीक इसी प्रकार से जब एक राज्य को दो तीन राज्यों में अलग-अलग तरीके से बाटा जाता है तो उसे भी दो राज्य दो तीन राज्यों से कटी हुई सीमांकन रेखा के को एक तरीके से कानूनन तौर से जब बंटवारा किया जाता है तो इससे 2 राज्यों का बंटवारा कहते हैं।
हिंदुस्तान पाकिस्तान का बंटवारा देश के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख आंसुओं से लिखी गई है यह वही दिन था जब देश का विभाजन हुआ और 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत को एक प्रथम राष्ट्र घोषित किया गया इस विभाजन में ना केवल भारतीय उपमहाद्वीप के दो टुकड़े किए गए बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया और बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान बना दिया गया जो 1971 के युद्ध के बाद बांग्लादेश बना कहने को तो यह एक देश का बंटवारा था लेकिन दरअसल यह तीनों का परिवारों का रिश्तो का और भावनाओं का बंटवारा था भारत मां के सीने पर बंटवारे का यह जगियो तक रिश्ता रहेगा और आने वाली नस्लें तारीख के सबसे दर्दनाक और रंजीत दिन को टीस महसूस करते रहेगी ।
इस बंटावारे से -

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का बंटवारा
31 अक्टूबर 2000 को पूरा मध्य प्रदेश बेचैनी में डूबे कारण था कि मध्य प्रदेश का एक हिस्सा प्रदेश से अलग हो गया और स्थापना हुई एक नए राज्य जिसका नाम था छत्तीसगढ़ इसमें राज्य की स्थापना के बाद मध्य प्रदेश की 26 दशमलव 62 अपाचे आबादी और 30.4% भूमि चली गई साथ मध्य प्रदेश का 41 दशमलव 42 परसेंट
वन क्षेत्र भी नए राज्य छत्तीसगढ़ में चले गए इस विभाजन के पहले मध्य प्रदेश में 320 विधानसभा सीटें होती थी और छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 90 सीटें नए राज्य को दे दी गई विभाजन के समय मध्य प्रदेश के 7000 कर्मचारी छत्तीसगढ़ ट्रांसफर कर दिए गए उस समय मध्य प्रदेश में 496 आईएएस ऑफिसर 278 आईपीएस ऑफिसर और 385 आईएफएस ऑफिसर थे कर्मचारियों वैसे 111 आईएएस ऑफिसर 73 आईपीएस ऑफिसर और 99 आईएएस ऑफिसर छत्तीसगढ़ को दे दिए क्या वहीं राज्य की सुरक्षा के लिए मध्य प्रदेश के 96000 पुलिसकर्मियों में से 26% छत्तीसगढ़ को में तैनात कर दिए गए 26.67 जमा राशि छत्तीसगढ़ को दी गई
छत्तीसगढ़ को दिया गया एयर भी 200 विमान
छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तो बंटवारे से कर्मचारियों में पैसे जमीन जंगल बस का नहीं हुआ यहां तक की टेबल कुर्सियां अलमारी का भी बंटवारा हुआ बंटवारे में 36 वीआईपी टेबल 33543 ऑफिस 7 40 बआईपी कुर्सियां 985 ऑफिस चेयर 1212 बड़ी सेंट्रल टेबल 466 की अलमारी छत्तीसगढ़ को दी गई
     इस तरह से हमने यह महसूस किया कि बंटवरा करना उचित नही है । लेकिन बिना बटवारे के समस्या का हल करना भी असंभव है । अतः परिस्थितियों के अनुसार नियमों का पालन किया जाये तो अति उत्तम होता है । यही सही और उचित बंटवारा होगा । 
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
संस्थापक-संपादक-काउसंलर

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