रात्रिकालीन समय मे शुभ-अशुभ की थ्योरी ..! श्रीरामधुन !
आज का समय ,बदलता समय, 21 वी शदी का समय - रात्रीकालीन समय मे बदलता समय आज अपनी न ई सुबह लेकर आ रहा है सभी देशवासियों से अनुरोध है कि वे इसका स्वागत करे । यही न ई सुबह रात्री भर जागकर,काम करके
सुबह सुबह जब नींद की आगोश मे जब निद्रा देवी से मिलवाती है तब एक सुखद की जो अनुभूति दिलाती है वह अनोखी होती है । आज का समय बदल चुका है ।
रात्री मेजितने बुरे काम होते थे वे सब के सब बंद हो गये है चूंकि आज का इंसान अब चौकीदार बन गया है । रात्री मे मोबाइल चलाता है, मोबाइल कम्प्यूटर पर रात्री पर काम करता है चूंकि उस समय विदेशो मे दिन होता है । ऐसे मे विदेशो की दूरी भी कम हो जाती है। आज भारत मे ऐसे ऐसे घर है जहां पर रात्री 12 बजे उनकी सुबह होती है और उनका कार्य शुरु होता है । रात्री मे जो भी बुरे काम होते थे वे अब नही होते है । इसका मतलब यह है कि दिन-रात की दूरीयां समाप्त हो ग ई है ।
जितने भी बुरे कर्म होते है वे सब रात्री के अंधेरे मे होते है जैसे - चोरीचमारी,लूट,डकैती,बलात्कार आदि आदि अनेको कार्यो के अलावा सोने व आराम करने के लिऐ भी होती है । इसका आशय् यह है कि रात्री मे अच्छे इंसान सोते है,आराम करते है तो वही बुरे लोग बुरे काम भी करते है ।
दिन मे कौन सोता है और रात्री मे कौन जागता है ? तो इसका उत्तर यह है कि- चमगादड़, उल्लू है जो रात्री मे जागते और दिन मे सोते है । इनमे अनेको विलक्षणताऐ पाई जाती है । इनकी विलक्षणताओ पर रिसर्च किया तो अनेको तथ्यों का उजागर हुआ । वैज्ञानिकों का कथन है कि कोरोना संक्रमण बिमारी की उत्पत्ति भी इन्ही से हुई धी ।
अब ऐसी विलक्षणताओं की ओर बढ़ता हुआ विश्व के समस्त लोग जो रात और दिन के अंतर को समाप्त कर काम कर रहे है और इतिहास रच रहे है और साथ ही पुरानी मान्यताओं व कहावतो को चुन्नोतिया दे रहे है ।
दिन और रात की प्रक्रिया कैसे होती है:-
पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है तथा साथ ही अपने कक्ष आरक्षण पर घूमते घूमती है अपने अक्ष पर घूमने के कारण पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने होता है वहां दिन होता है तथा जो भाग उसके विपरीत होता है वहां राहत होती है और यह हमेशा चलता रहता है
पृथ्वी पर दिन और रात कैसे होता है:-
पृथ्वी अपनी धुरी पर 1 दिन में पूरा चक्कर लगाती है इससे दिन रात हते हैं पृथ्वी से समय जिस भाग पर सूर्य का प्रकाश आता है वहां दिन और शेष भाग में रात होती है
टीप :- इस विश्व में नॉर्थ और साउथ पोल सुनें 6 महीने के दिन और रात होते हैं यहां पर कोई भी जीवन नहीं है यहां पर केवल पर कहीं पर और यहां पर कोई भी कंडीशन नहीं है कि लोग यहां पर रह सके इसी कारण से ग्लेशियर पिघलने का सिलसिला शुरू हो चुका है अब वह समय दूर नहीं है जब इन जगहों की भी खोज की जा सके और मानव यहां पर भी रहने के इच्छुक होने लगेंगे ग्लोबल पार्टी के असर के कारण बहुत तेजी से पिघल रहा है जिससे पानी का स्तर पर रहा है । भारत में 23 सितंबर दिन बुधवार को दिन और रात बराबर हुए इसी तरीके से 21 मार्च को भी दिन और रात बराबर होते हैं।
इस तरह के अध्ययन से ज्ञात हो रहा है संसार धीरे धीरे परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है और जहां से चला था धीरे धीरे उसी ओर बढ़ रहा है । बुध्दीजीवि वर्ग भी सब कुछ जानते हुऐ भी कुछ भी नही कर पा रहा है और ना ही कर पाऐगा । क्योंकि परिवर्तन का अटेक सीधा मानव मस्तिष्क पर पड़ रहा है ।
रात- दिन की थ्योरी मे परिवर्तन का समय धीरे-धीरे चला आ रहा है उसका स्वागत की तैय्यारियाँ भी शुरू हो चुकी है जो दिखाई नही देगी महसूस होगी ।
लेखक-आलोचक
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