मनोवैज्ञानिक रुप से डराना बंद करे .!सरकार ! "श्रीरामधुन"

मनोवैज्ञानिक रूप से डराना  बंद करें  -सरकार
     मनोवैज्ञानिक रूप से सरकार द्वारा आम जनता को अनेको रूप से परेशान किया जा रहा है, नाना प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है इस पर रोक लगाना अति आवश्यक है । कहने और बोलने मे
अच्छा नही लगता है फिर भी एक कटु सत्य है । इस संदर्भ मे लेख है
जिसपर गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
ने अपनी टूस्ट मै आने वाले 100 लोगो पर शौध करके जो निष्कर्ष निकाला है और अपने लेख के माध्यम से प्रस्तुत किया है :-
    भारत की अथिकांश जनता गरीब है और अध्यामिक और अंध-
विश्वासी हे जिसका लाभ हर चतुर वर्ग का व्यक्ति उठा रहा है तो ऐसे मै
मौजूदा सरकार इसका लाभ क्यो ना उठाऐ । 
मनोविज्ञान की परिभाषा
क्वालिटी शताब्दी में आत्मा शब्द को आधार मानकर सर्वप्रथम प्लेटो अरस्तु रिकॉर्ड के द्वारा मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना गया था जिसे बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में मनोविज्ञान को व्यवहार के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाने लगा ।
मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
मनोविज्ञान का सिद्धांत मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है इसका उद्देश चेतना अवस्था की प्रक्रिया के तत्वों का विश्लेषण उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करने वाले नियमों का पता लगाना है
मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाएं कहां से उत्पन्न होती हैं:-
यही एक कारण है कि लोग बिना किसी विशेष कारण के विद्रोह करते हैं वे अपने खतरे में पड़ी स्वतंत्र को बहाल करना चाहते हैं और नियंत्रण हासिल करना चाहते हैं मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया स्वतंत्रता की अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमती है इस प्रकार स्वतंत्रता के बारे में हमारी धारणा इस बात को प्रभावित करती है कि हम किस हद तक प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं
मनोवैज्ञानिक सिद्धांत
मनोविज्ञान का सिद्धांत मनोविज्ञान अनुभव का विज्ञान है इसका उत्तर चेतना बसप ।
 की प्रक्रिया के तत्वों का विषय था उनके परस्पर संबंधों का स्वरूप तथा उन्हें निर्धारित करने वाले नियमों का पता लगाना है
मनोवैज्ञानिक रोकथाम:-
बीमारी विकारों और सामाजिक समस्याओं की घटना को कम करने या समाप्त करने के लिए बनाई गई एक रणनीति है जो रोकथाम व्यक्तियों या विशिष्ट आबादी पर केंद्रित हो सकती है ।
मनोवैज्ञानिक का महत्व
मनोविज्ञान मनुष्य के सामाजिक मानसिक शारीरिक तथा संवेगात्मक विकास को समझने में महत्वपूर्ण है ।
मनोविज्ञान के ज्ञान से विभिन्न मानसिक रोगों तथा समस्याओं को दूर करने में सहायता मिलती है मानव व्यक्ति इस संतुलन तथा विकास में मनोवैज्ञानिक निर्देशन की विशिष्ट भूमिका है अच्छी आदतों तथा उत्तम चरित्र के निर्माण में मनोवैज्ञानिक सिद्धांत अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं ।
    पोस्ट लिखी लिखाई बातें सुनी सुनी सुनाई बातें हैं, पठन-पाठन की बातें हैं ,जो वर्तमान समय में चल रही हैं किंतु मैं आपका ध्यान उस     ओर केंद्रित कर रहा हूं जिसकी वजह से पूरे विश्व में मनोवैज्ञानिक ढंग  के जरिए से लोगों को किस प्रकार से परेशान किया जाकर प्रत्याड़ित किया जा रहा है । यह एक कटु सत्य है  ।.जो कि आपके सामने प्रस्तुत किया जा रहा है और वह भी उदाहरण के साथ । जैसे कि कोरोना काल में लाखों लोगो को एक मनोवैज्ञानिक ढंग से , एक मनोवैज्ञानिक प्रणाली के अंतर्गत काल के मुंह में समा गए जिसे हमने एक बीमारी का नाम दिया है । एक्चुअल में यह कार्य एक देश का ना होकर समूचे विश्व का माना जा सकता है जिन्होंने इसकी संरक्षण संरचना आबादी को कम करने के लिए किया था । आज कोरोना काल उसी स्पीड से समाप्त हो गया,कितना हौवा बनाया गया था। इसके पीछे क्या क्या हुआ सब भूल गए लोग और याद रह गया तो सिर्फ कोरोनाकाल । अब इस चीज को किस ढंग से लिया जाए और किस ढंग से ना लिया जाए या एक विचारणीय प्रश्न है ?  जो आम जनता को स्वयं ही सोचना होगा , करना होगा अब ऐसे में तो हम ना तो विश्व  कुछ कर सकते हैं ना देश का कुछ कर सकते हैं जो हो गया सो हो गया । यह सब खेल  मनोवैज्ञानिक रूप से किया गया था और इस मनोवैज्ञानिक इफ़ेक्ट के कारण अधिकांश जाने चली गई जिन्हें कुछ भी नहीं हुआ था छोटी सी बीमारी थी वे भी परलोक सिधार  गये । सरकारो ने उसे एक हादसा के रूप में स्वीकार कर लिया और स्वीकार करने के लिए लोगों को मीडिया टीवी न्यूज़ चैनल आदि आदि के माध्यम से सचेत कर दिया आप क्योंकि भारत की जनता एक आध्यात्मिक भावुक प्रगति की है तो उनका डरना स्वाभाविक है और डर के मारे उन्होंने मान लिया कि वास्तव में जो सरकार कहती है वह सत्य है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है आज टीवी चैनल न्यूज़ चैनल समाचार पत्रों के द्वारा आम जनता के दिलो-दिमाग में इतना आघात पहुंचाया जाता है की वह सब मानसिक असंतुलन मानसिक संतुलन खो बैठते हैं और परेशान होते है जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है ,ना होता है । लेकिन कुछ मात्रा में होता है बाकी कुछ भी नहीं होता है चुनाव जीतने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी अट ए टाइम आकाश में कोई बहुत बड़ी दुर्घटना की ओर ध्यान केंद्रित कर आम जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश करती है यहां पर भी वही नियम लागू होते हैं जो इसी वजह से कहा गया है कि आम जनता को टीवी चैनल समाचार पत्रों के माध्यम से डराना सरकार बंद करें और उसे अपने हाल पर छोड़ दें मीडिया एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है की जो कुछ भी कर सकता है और कुछ भी कर सकने में सक्षम है क्योंकि यह माध्यम सशक्त माध्यम है जो डायरेक्ट आम जनता को इफेक्ट करता है वर्तमान समय में सरकार अपनी गलती छुपाने के लिए बिटिया का सहारा इसकी वजह से लेती है कि आम जनता को मुख्य उद्देश्य से भटका कर उस तरफ ध्यान आकर्षित किया जाए जैसे कि वर्तमान समय में महंगाई बेरोजगारी का मुख्य विषय है किंतु छोटी मोटी खबर को तूल देने से एक तरफ से लोगों का ध्यान हट जाता है इसी तरीके से कई ऐसे मामले हैं जिसमें सरकार आम जनता को मीडियम के माध्यम से गुमराह कर रही है जो कि अनुचित है ।   
सरकारी योजनाएं भी एक मनोवैज्ञानिक रुप से प्रदर्शित की जाने की भी राजनीति भी बंद  करना होगा । 
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
लेखक-आलोचक 

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