काला कानून,काला न्याय,काली पट्टी के करीब "श्रीरामधुन "
देश में कानून व्यवस्था की और किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। हमारा जो संविधान है उसमें काफी हद तक संशोधन होना है क्योंकि मौजूदा कानून जल्दबाजी में बहुत कम समय में एक टीम वर्क के द्वारा तैयार किया गया था । कानून उस समय के वर्तमान समय को देखते हुए बनाया गया था । समय बदलते रहा किंतु कानून नहीं बदला और ना ही इस तरफ किसी ने ध्यान दिया । मांग करने वाले कानून बनाए जाने की मांग करते रहे लिखने वाले लिखते रहे किसी ने भी ध्यान नही दिया । विधि निर्माता और नेताओं तथा अफसरों ने उसी में से रास्ता निकाल निकाल कर उसे बेसुरा बना दिया और स्थिति बद से बदतर बदतर हालत में पहुंच गई न्याय की आंख में काली पट्टी बांधकर न्याय पर भी चश्मा पहना दिया।
आज मुझे अपने कर्मों के अलावा किसी पर भी विश्वास नहीं है और ना ही किसी देवी देवता पर विश्वास है जो मेरे कार्य को पूरा करने यहां इस लोक में आएंगे ।जो कुछ भी करना है वह मुझे ही करना है । मेरे कर्मों के द्वारा ही करना है ।मैं अपने कर्मों के आधार पर हमेशा अपडेट रहता हूं । अपडेट करते रहता हूं । अपने कर्मों को अपडेट करते रहता हूं। क्योंकि मेरे कर्म ही मेरे जीवन का फैसला करेंगे । आज मैं जो कुछ भी अपने कर्म पर आधारित हूं । मुझे काली चीजें शुरू से ही बिल्कुल पसंद नहीं है, और ना ही उन्होंने मेरा साथ दिया है । काली वस्तुएं इस प्रकार से है-- काली पट्टी बांधे हुए न्यायमूर्ति, काले। कपड़े पहने हुए शनि महाराज , लोहे से बनी लोहे से बनी निर्मित व्हीकल और कारखानों में प्रयुक्त लोहा ये सब जो है मेरे हमेशा दुश्मन रहे हैं। इनकी वजह से मैं आज तक परेशान रहा हूं ।इन पर कभी मुझे कोई विश्वास नहीं रहा है। इसलिए इन चीजों को मैंने अपने जीवन में कोई महत्व दिया ही नहीं है । आज मुझे किसी को हिसाब नहीं देना है। मैं अपने मन का मालिक हूं । ना तो मैं नेता हूं नाही सरकारी कर्मचारी हूं कि - मुझे किसी को रिपोर्ट अपने कार्यों की रिपोर्ट या समीक्षा देनी है। ना तो मैं मन की बात करता हूं ना ही सीएम हेल्पलाइन की बात करता हूं । मैं स्वयं काउंसलिंग करता हूं लोगों की जन समस्याओं का हल करता हूं । मुझे किसी से कोई गिला शिकवा नहीं है। मैं अपने मन का मालिक हूं और मैं सदैव अपने कार्यों के प्रति सजग रहता हूं । मैंने सरकार से क्या मांगा था ? 1* टूस्ट की अधिमान्यता * 2* अनुदान 3 * भूमि आंवटन एवं छोटी-मोटी माग थी । मेरी ट्रस्ट के प्रति सरकार ने लापरवाही व उदासीनता क्यों बरती है ? कृपया बतलाया जावे ?
मैं अपने कार्यों के प्रति सदैव अपडेट रहता हूं ,हर समय तैयार रहता हूं, हर क्षेत्र में तैयार रहता हूं। मुझे किसी को भी कोई हिसाब नहीं देना है । मैं अपने मन का मालिक हूं, चाहे जो भी कर सकता हूं । किंतु नियमानुसार सभी कार्य करता हूं। हर कार्य को समय पर अंजाम देता हूं यही मेरी सबसे बड़ी पहचान है ।
आज मैं काला कानून, काला न्याय और काली पट्टी वाली न्यायमूर्ति के समीप पहुंच चुका हूं । और मैं अपना न्याय स्वयं ही करूंगा मैं अपने अच्छे कर्मों के द्वारा ही न्याय प्रदान करूंगा ऐसा मे
इस 15 अगस्त को अपनी ट्रस्ट के समक्ष प्रतिज्ञा करने हूं वो आमजनो के समक्ष हूं । मुझे अब केंद्र सरकार और मध्य प्रदेश सरकार पर से भरोसा उठ चुका है क्योंकि इन्होंने मेरा तथा मेरे अच्छे कार्यों को, जो ट्रस्ट के द्वारा जनहित में निशुल्क सेवाएं प्रदान कर रहे थे उन पर कुठाराघात किया है । अतः आज आने वाले 15 अगस्त के दिन
15 अगस्त को मैं शपथ लेता हूं कि मैं जनहित में निशुल्क सेवाएं आम जनता को प्रदान करते रहूंगा करते रहूंगा करते रहूंगा चाहे बीजेपी सरकार सहयोग करे या ना करे ।
लेखक:आलोचक-काउंसलर
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