सब्र का फल मीठा होता है अथवा कड़ुआ ? "श्रीरामधुन"
सब्र का फल मीठा होता है अथवा कड़ुआ होता है यह तो चखने वाला ही बता सकता है ?
मै भी आपसे पूंछता हूं कि "क्या आपने सब्र को देखा है आखिर वह होता कैसा है उसका अकार,प्रकार, स्वाद आदि आदि के
बारे मे जानते है कि आप भी इस कहावत के अनुसार कहते चले आ रहे है । एक सियार ने हुआ हुआ कहना शुरु किया तो सभी सियारो ने भी उसकी हाँ मे हाँ मिलाते हुऐ चीखने लगे । इंसानो और सियारो मे क्या अंतर हुआ ? यह भी आपको सोचना है और करना है ।
जिस भी इंसान पर बीतती है वही उसके बारे बतला सकता है ।
भुक्तभोगी ही जानता है कि उसके साथ हुआ है वही सुख-दुख, लाभ- हानि,जीवन-मृत्यू के बारै बतला सकता है । वह कभी भी सुर से सुर नही मिलाऐगा बल्कि हकीकत मे वह बतलाऐगा जो उसके साथ घटित हुआ है ।
घटित घटना के बारे सभी लोग एक मत नही हो सकते । सभी लोग
अपने-अपने विचार रखेगें , आलोचना भी करेगें । कुछ लोग सहमत भी होगें जिनकी भी बाते हवा हवाई बाते बहुमत वाले सिध्द कर देगें । आज का समय बहुमत वाला है । बहुमत है तो आप कुछ भी कर सकते हो । देश को चला सकते हो और कुछ भी कर सकतै हो चूंकि कानून भी आपके साथ है
मीडिया भी आपके साथ है अर्थात
देश को चलाने के लिऐ बहुमत जो आपके साथ है । अपना नाम और काम को इतिहास बनाने के लिऐ आप कुछ भी कर सकते हो बहुमत जो आपके साथ है । आप कोई भी कानून बनाकर न ई परम्परा स्थापित कर सकते हो और दिन को रात और रात को दिन कर सकते हो जो आपने अपने बहुमत के कारण कर दिखाया है । इस वदलाव का कारण भी आप स्वयं हो आज लोग लोग रात भर जागते है दिन मे सोते है । जब दिन को रात मे बदलने मे सक्षम हो तो आप सभी कार्य कर सकते हो चूकि आपके साथ पूंजीवाद भी जुड़ा है।
पूंजीवादी रावण भी था जिसकी
सोने की लंका थी । वह पूंजीपति वनने के लिऐ छल-बल और ताकत के साथ साथ अध्यात्म का सहारा, इस्तेमाल कर नाम कमाया और एक छोटी सी गलती के कारण आज ना रावण रहा और ना ही उसकी सोने की लंका रही सब मिट
गया ।क्या आप भी इसके पक्ष मे है
अथवा नही आप ही सोचिऐ ?
तानाशाही कोई भी नही सहते
किंतु मजबूरन आपके साथ खड़े है हर इंसान आज रिकार्ड को तोड़नै मे लगा हुआ है । अब हिटलर का रिकार्ड भी तोड़ने वाला इस दुनिया मे जन्म ले चुका है ,कही आप तो नही ? यह फैसला भी आपको ही करना है ?
समय परिवर्तन करते रहता है
आज गांधीजी को मारने वाले वंशज भी है किन्तु उनकी स्थिति कैसी है और मर के अमर होने वाले के परिवार भी है दोनो मे कितना अंतर है वह भी किसी से नही छिपा हुआ है । गांधीजी के बगैर भारत चल ही सकता । क्या आप गांधीजी
की जगह ले सकते है ? ले भी सकते है चूंकि आपके पास बहुमत है । आप बहुमत मे है तो पड़ोसी, समाज ,आमजनता भी आपसे डरेगी और आपका साथ देगी यह
उसकी मजबूरी है उसे अपनी, परिवार समाज और आमजनों की
सुरक्षा करनी है । आपके आगे- पीछे तो कोई नही है । आपने अपना उत्तरदायित्व कभी निभाया होता तो जान पाते कि माँ-बाप,
भाई-बहन,पति-पत्नी का धर्म क्या
होता है ? बस एक झूठे आडम्बरों की सफेद चादर मे लिपटी आम -
जनता को अपनी मीठी बातो मे फंसाकर उनका हक उन्ही को दे रहे
है बाकी और भी आमलोग है उन्हे तो सही काम करने मोहताज कर दिया हे,कर रखा है ।
फिर वदलाव आऐगा और जल्द ही आऐगा । 21 वी शदी के 22 वी शदी भी जरूर आऐगी ।
लेखक-आलोचक- काउसंसर
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