अभी आपके पास समय है सब कुछ कर सकते हो ! श्रीरामधुन
अभी आपके पास बहुत समय है हम सब कुछ कर सकते है। बदलाव
मे ही बदलावट आऐगा । फिर से बदलाव लाना होगा किन्तु अपने अंतर्मन मे बदलाव लाना होगा । मन से मानकर इंसानो का जीवन जिओ । यह राह कठिन जरुर है लेकिन असंभव भी नही है ऐसा मानना है
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन का -
बहुत समय की पहले की बात है कि जब ऋषि मुनि लोग तपस्या में लीन रहते थे और देश में कोई भी संकट आता था तो वहां के स्थानीय राजा को अवगत करा कर उन समस्याओं को दूर करवा देते थे । पहले के ऋषि मुनियों में मन की शक्ति बहुत तेज थी । मन से बैठे-बैठे वह सब कुछ देख लेते थे, कर लेते थे ,आने वाली विपदाओ को बता देते थे । अतः त्रिकाल दृष्टि हुआ करते थे आज भी वही स्थिति निर्मित हो रही है,चल रही है । आज वही ऋषि मुनि मोबाइल के वैज्ञानिक तथा हर क्षेत्र माहरथ बनकर इस पृथ्वी पर जन्म लेकर विचरण कर रहे हैं ,जो नाना प्रकार की सेवाएं मोबाइल में टीवी में प्रसारित कर रहे है । समय बदला नहीं है हमारा मन बदल गया है , हमारी सोच बदल ग ई है । उसी मन में को एकाग्र करना अति आवश्यक हो गया है किंतु आदमी की चिंताएं इतनी अधिक प्रबल हैं की मन को एकाग्र करने में अपने आप को असफल महसूस कर रहा है । एक प्रकार से कोई विश्वास नही करेगा और मजाक उड़ाऐगा । आज के समय में हर इंसान सोच रहा है कि " उसके पास अभी समय बहुत समय है ,वह कभी भी कुछ भी कर लेगा " ऐसा सोचते सोचते पूरा जीवन व्यतीत कर लेता है लेकिन कर नहीं पता है
इंसांन के पास कुछ हो ना हो किन्तु इंसानियत तो होनी ही चाहिए । लेकिन इस बदलाव मे वे
घीरे-धीरे इंसानियत भूलते जा रहे है साथ ही अपने रिस्ते भी भूलते जा रहे है । सब से पहले अपना फायदा ढूढ़ते है और इंसानियत को भूलते जा रहे है । अब ऐसे समय इंसानो मे इंसानियत कुछ ही लोगो मे बची है जिससे दुनिया चल रही है ।
वर्तमान समय झूठ बोलने वालो का बोलवाला चल रहा है । कौन झूठ बोल रहा है और कौन सच बोल रहा है पहचान नही पा रहे
झूठ बोलने वाला तो पकड़ा ही जाऐगा । तब हमे पता चलता है तो तब तक अपना सब कुछ गवां बैठते है और पछताने के अलावा कुछ भी हाथ नही लगता है । झूठ बोलना बहुत बड़ा पाप माना जाता है और झूठ को सच बताने के लिए ना जाने कितने झूठ बोलना पड़ता है । मैंने ऐसे झूठ बोलने के हश्र देखे है जिनका जीवन ही झूठ की बुनियाद पर चल रहा था उन्है ना जाने कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ा । आप कितने गुनहगार रोज हो रहे हैं यह आपके हिसाब में लिखा जा रहा है । क्योंकि दो चीजों का होना ना होना बहुत मायने रखता है। जैसे दुख- सुख, झूठ -सच, अच्छी -बुरी ऐसी अनेकों बातें हैं जो आदमी को उसके दो भागों में बताकर प्लस माइनस के रूप में एकत्रित होते रहती हैं फिर जेसी ही जिस चीज का पड़ला भारी पड़ेगा उसका फैसला होगा ।झूठ वालो का अंत होना तो निश्चित है । इसी तरह से झूठ बोलने वालों का अंत बहुत भयानक होता है । यह हम रोजाना समाचार पत्रों में टीवी में आस पड़ोस में, घर मोहल्ले में देख रहे हैं कि उनका अंत कैसा होता है । झूठ बोलने वालों की उम्र कम होती है । वह किसी न किसी समय पकड़े ही जाते हैं और फिर सजा भी उन्हें मिलती है ,और ऐसी सजा मिलती है जिसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। झूठ बोलने जैसी अनेकों बातें हैं जो आदमी को प्लस और माइनस के घेरे में जोड़ी रहती हैं । इसलिए सभी लोगों से विनती है कि वह कोई भी ऐसा कार्य न करें जो उनके माइनस प्लस में माइनस की संख्या ज्यादा बढ़ाऐ । आज के समय में ऐसा कोई भी व्यक्ति है तो नहीं किंतु ढूंढने से लाखों करोड़ों मिल सकते हैं । ऐसे करोड़ों लोग आए और चले गए और उनके नामोनिशान भी मिट गए । आज उनका कोई याद करने वाला नहीं है। यही सोच कर आदमी को अच्छे बुरे की पहचान सच झूठ की आदत बदल लेने में ही भलाई है ।
मैं जब सुबह घर से निकलता हूं तो एक हाथ में गीता के दैनंदिनी डायरी होती है तो एक जेब में गीता रखी होती है तो एक जेब में लक्ष्मी विराजमान रहती है , सामने के जेब मंहगी कलम मे माँ सरस्वती और हाथ मोबाइलनंलं रहता है साथ ही साथ दिनों के हिसाब से कपड़ों का कलर होता है और उसका उपयोग में रोज करता हूं ।इन सब के अलावा हाथ में कलेवा गले में तुलसी माला धारण कर रंगों का इस्तेमाल कर जब घर से अपने ट्रस्ट की ओर निकलता और बैठता हूं तो मुझे बड़ा सुकून मिलता है तभी मै भविष्य बतलाता और लोगो की समस्या का निदान कर पाता हूं । मुझे किसी बात की कोई चिंता है ना पीने की चिंता रहती है सिर्फ एक ही बात मन में रहती है कि किसी की भलाई कैसे की जाए सलाह मुफ्त में नहीं देता क्योंकि मुफ्त में सलाह लेने और देने वालों की संख्या बहुत अधिक है । सलाह एक कान से सुनते हैं और दूसरे कान से निकाल देते हैं । तो ऐसी सलाह से क्या फायदा । इसलिए मैं अपनी निर्धारित शुल्क लेता हूं और लोगों को सही रास्ता दिखाने के लिए ,उनके धर्म के हिसाब से कर्म करवाता हूं । क्यों की समस्या उन्ही की है ,उनको ही करनी होगी । मैं कोई भगवान नहीं हूं ,मैं कोई जादूगर नहीं हूं की छड़ी घुमाते ही लोगों की समस्या दूर कर दूंगा ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं है । जिसकी समस्या है निदान भी उसी के पास है ,उसी को करना है । मै तो उनका सारथी हूं ।
आपके पास समय बहुत ही कम है जीवन का एक एक दिन कम होता जा रहा है । जितना भी समय है उसका सही उपयोग कर लो ।अधूरे कार्यो को समाप्त कर लो । मरते समय कोई भी बोझ साथ लेकर नही जाना है । अपनी जरुरते
कम करो । किसी पर बोझ मत बनो। ज्यादातर अपना स्वयं का कार्य स्वयं करो ।
समय को पकड़ो । समय के साथ चलो,समय किसी को मत दो,
समयानुसार हर कार्य को करो ऐसे
नियमो का पालन करो ।
लेखक-आलोचक-काउंसलर
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