भारत मे दलालो का कसता शिकंजा - - जरुरी है इनपर रोक- "श्रीरामधुन"
भारत मे बढ़ते दलालो पर सिकंजा कसना बहुत ही जरुरी है अन्यथा ये लोग देश को ही बेच देगें और सरकार कुछ नही कर पाऐगी चूंकि सरकार मे भी दलालो की कमी नही यहां पर भी दलाल बैठे है । दलाल तो सब जगह बैठे है ।
दलालो की दलाली पर सरकार जल्द ही नया नियम बनाकर लागू करने वाली है अतः दलाली करने वालै सतर्कतापूर्वक कार्य करे और जो भी नियम हो तो उसका पालन ईमानदारी के साथ करे ।
वर्तमान समय में सीताफल का सीजन चल रहा है और मार्केट में सीताफल गायब है तो ऐसे में क्या दलाल लोग इन तक नहीं पहुंच पाए हैं अथवा इस व्यवसाय में लोगों को हनी ज्यादा लाभ कम दिखाई देता है इसी वजह से लोग आमजन जिनके यहां सीताफल के वृक्ष लगे हैं अथवा जंगलों में से तोड़कर लाते हैं वह सब सड़कों पर बैठकर सीताफल बेच रहे हैं इसका यह मतलब तो नहीं की सीताफल का सीजन काम है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है सीताफल हर वर्षों की तरह अच्छी फसल में आया है किंतु दलालों के कारण यह सीताफल मार्केट में नहीं पहुंच पा रहा है इससे यह सिद्ध होता है कि दलालों की दादागिरी चल रही है वे चाहे तो खरीद कर बाजार में सीताफल का व्यवसाय हर वर्ष के प्रति भाटी उसे भी अंजाम दे सकते थे लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ इससे यह सिद्ध होता है कि दलालों की दलाली में सीताफल एक लाभकारी व्यवसाय नहीं है बल्कि नुकसान उठाना पड़ सकता है । इन्हीं दलालों के कारण आज करीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं और दलालों के माध्यम से वही सस्ती खरीदी की गई किया गया सीताफल सस्ते दाम में सड़कों पर दिख रहा है इसका आशय क्या समझा जाए कि दलालों के कारण ऐसा तो नहीं हो रहा है दलाल तो हर चीज की दलाली चाहता है तो सीताफल जैसे पौष्टिक आहार में पीछे क्यों गया यह सोचने की बात है जपती वस्तु स्थिति यह है कि यही सीताफल दलालों के माध्यम से होता हुआ यदि बाजार में आता तो इसके भाव चौगुने होते है और क्वालिटी के हिसाब से इनका विक्रय किया जाता तो उन्हें और गरीब लोगों को लाभ मिलता है किंतु ऐसा नहीं होने की वजह क्या है यह सरकार जानबूझकर इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है ।
भारतीय बाजार में दलालों की कमी नहीं है । दलाल अथवा ब्रोकर सब जगह पाए जाते हैं। छोटे से छोटे व्यवसाय से लेकर बड़े से बड़े व्यवसाय में दलाली की जाती है । अब तो राजनीति में भी दलाली की जाने लगी है । पिछले दशक के चुनाव में विधायकों का खरीद फरोख्त जो हुआ था उसमें भी दलाली की गई थी । एक ही झटके में लाखों करोड़ों का व्यवसाय हुआ था तो इसका मतलब है कि सीताफल से लेकर सरकारी महकमे में से होता हुआ राजनीति में प्रवेश और दखलअंदाजी करता हुआ दलाल ही है । अब ऐसे मे इन दलालों के ऊपर यदि सरकार कोई एक्शन लेती है ,उनके लिए कोई नया कानून बनाकर लाती है तो इसमें दलाल के मार्फत जो अधिक दाम वसूले जाते हैं उन पर भी टैक्स लगाया जाए अथवा बंद किया जाए यह सरकार को ही निर्णय लेना है ।
ये सभी दलाल उर्फ माफिया दलाल राज को समाप्त करना होगा । ये दलाल किसी आतंकवादी से कम नही है जो देश की जड़े खोकली कर आमजनता की नीव हिला रहे है । इस दलालगिरी मे एक अथवा दो जाति समुदाय के लोग ही ज्यादातर कार्यरत है । आगे चल कर ये ही दलाल देश और देशवासियों को काफी नुकसान पहुचाऐगे अतः सरकार को इन नकेल कसना जरुरी है । सख्त कानून भी बनाया जावे और सख्ती से पालन भी करवाना चाहिए । इन दलाले की अंतरात्मा मे जरा झाककर तो देखो तो हकीकत अपने आप आ जाऐगी । चूकि बिना तथ्य या सबूत के ऐसा नही लिखा जा रहा है कोई तो वजय होगी ? ऐसे ही बिना वजय के ऐसी सलाह सरकार को नही दे सकता ।
दार्शनिक लेखक-आलोचक- सलाहकार
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