युगप्रवर्तक बनाम युगपुरूष की होड़ मे ,दौड़ मे कौन ? "श्रीरामधुन"
युगपुरुष -युगप्रवर्तक- युगदृष्टा बनने की राह मे कौन है ? फैसला करेगी विश्व की जनता ?
यदि भोपाल म०प्र० की जागरूक है तो मै आपका ध्यान उस सामाचार पत्र की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूं - जिसमे टूस्ट "माँ आदिशक्ति दर० धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट भोपाल ने वर्ष 2008 मे एक विज्ञाप्ति प्रसारित की गई. थी कि जिसमे यह " टूस्ट को एक युगपुरुष, युगप्रवर्तक की आवश्यकता है "अथवा जो इस फील्ड मे सहायता चाहता है और बनने का इच्छुक है तो वह टूस्ट के संस्थापक श्रीरामधुन से मिले अथवा आवेदन पत्र भेजे "
किन्तु किसी ने भी इस तरफ ध्यान नही दिया और बात आई ग ई हो गयी । अब वहु पुरानी बात वर्ष 2023-24 मे उभर कर बड़े पैमाने पर उभर कर आऐगी किसी ने सपने मे भी नही सोचा होगा । प्रेस विज्ञापन की प्रतिलिपि टूस्ट के पास सुरक्षित है । मै उसे बाद मै दिखला सकता हूं चूंकि वर्तमान समय मे मै सरकार के रवैया से रुष्ट होकर अज्ञातवास मे हूं । मै अज्ञातवास पर कभी भी अपनी शक्ति और अपने मुख से कोई गलत शब्द ना निकले इसलिए अज्ञातवास मे चला जाता ताकि मै जो कह़ू,बोलू या लिखू वो सब का सब जनता के सामने आऐ चाहे वह सही हो या गलत हो । मैने जो जो भी लिखा है उस पर कार्यवाही तो हुई भले ही देरी से हुई हो किंतु बाद मे तो हुई है यह मेरे काँफी है । जैसे लाड़ली लक्ष्मी, पर्यावरण,पिघलते ग्रेशियर आदि आदि । इन सबके साक्ष्य है टूस्ट के पास अभी मेरे पास एक ही विज्ञाप्ति अवलोकनार्थ प्रस्तुत है -
युगप्रवर्तक, युगपुरूष इस दुनिथा मे कौन है ? पहल तो हमारी टूस्ट द्वारा वर्षों पहले उठाया जा चुका है । उसका कारण यह था कि मै गायत्री परिवार से संबंधित हूं और मेरे पूज्यनीय श्रीराम शर्मा मेरे गुरू है उनसे ही मैने गुरदिक्षा ली है अब चूंकि अब वे इस दुनिथा मे नही है । उस समय ये ही ऐसे महान पुरुष थे जो युगपुरुष व युगप्रवर्तक थे जिन्होंने भारत को नई दिशा दी नये धर्म की स्थापना की ,नये युग की शुरुआत की थी । अध्यात्म की सम्पूर्ण ज्ञाता के साथ साथ उसको विज्ञान से जोड़ते हुऐ उदाहरण प्रस्तुत किऐ है । उनमे तार्किक शक्ति अत्यधिक थी । गायत्री परिवार की और से अखण्ड ज्योति नामक मासिक पत्रीका निकली गई
जो देश विदेशो मे भेजी जाती थी।
इन्होनें गायत्री महाकाव्य केअलावा
अनेको पुस्तकें लिखी है । अभी भी
उनका आश्रम हरिद्धार मे शांतिकुंज के नाम से प्रसिद्ध है जहां पर धार्मिक शिक्षा दी जाती है । इन्होने ब्राह्मणवाद को समाप्त कर हर जाति के लोगो को पंडित बनाकर निशुल्क सेवाएं प्रदान की थी । गुरुजी और माताजी कोई संतान ना होने के कारण उनके सेवक ही टूस्ट को चलाते । मुझे वही होना चाहिए था किंतु ग्रहस्ध
आश्रम के कारण जा नही सका ।
जो भाग्य मै लिखा है वही होता है ।
आज स्थिति वही निर्मित हो रही है और इतिहास अपने आप को
दोहराते उसी मोड़ पर खड़ा कर दिया है और आज वही आवाज उठने भी लगी है कि विश्व अथवा भारत मे युगपुरुष व युगप्रवर्तक के रिक्त स्थान को भरने हेतु अभियान
छिड़ चुका है । अनेको लोगो ने अनेकानेक नाम सुझाया है । उन नामो मे एक नाम भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का भी नाम प्रस्तावित है । श्री मोदीजी इस पद के असली हकदार नही है ।
इन्है विश्व गुरू की उपाधि दी जा सकती है । युगपुरूष अथवा युगप्रर्वतक की काबिलियत तो नही है । मै और मेरा टूस्ट इसका पुरर्जौर विरोध करते हे । उसके अनेको कारण है । वैसे वे देश कै प्रधानमंत्री है और सभी देशो के साथ अच्छी दोस्ती भी है । संघ परिवार के सिपाहसालार है ।
ज्योतर्विद "अंकशास्त्री"
संस्थापक-संम्पादक-अध्यक्ष- काउंसलर-इतिहास-कहानीकार-
लेखक-आलोचक-टीलेश्वर माहराज
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