"धन मिर्ची से तीखी जुबान" श्रीरामधुन
"धन मिर्ची से ज्यादा जुबान "
यह एक कहावत नही है बल्कि एक हकीकत बयां करती है । तीखी तेज मिर्च के बारे सभी जानते है कि
काली-हरी लम्बी वाली मिरची बहुत
तेज व तीखी होती है । उसी की प्रवृत्ति के बहुत से लोग पाऐ जाते है
जिसमे औरतो का प्रतिशत ज्यादा पाया जाता है । इस प्रवृति के लोग ज्यादातर राजनीति मे ,शिक्षा, रिपोर्टर प्रेस लाईन ज्यौतिषो, काउसंलर,राजदूत,सलाहकार क्षेत्रो
मे पाऐ जाते है । इसी वजय को देखते हुऐ भारत सरकार ने महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था
की है । महिलाओं मे वैसे भी उपर वाले ने इन्हे छठी इन्द्री दी है जिसके
अंतर्गत ये इंसान की बुरी नियत पहचान लेती है और अपनी आत्म-
जब इतना अधिक आरक्षण नही था तब इनके उपर अधिक अत्याचार हुऐ है । उस समय मे भी
महिलाएं बहुत तेज हुआ करती थी जैसी झासी की रानी लक्ष्मी बाई,रानी वीरांगना दुर्गावति आदि आदि के नाम आते थे । वेसे महिलाओं के लिऐ पहले कोई कानून नही था । इसी का उदाहरण
सती प्रथा थी । जैसे जैसो इंसान शिक्षित होते गया वेसे अनेको प्रधाओ को समाप्त की गई और इनमे इनकी ताकत की ,खूबियों को
जगाया गया जैसे हनुमानजी की शक्तियों को याद दिलानै मे उनकी खोई हुई शक्ति वापिस आई थी वैसे ही आज की महिलाओ के साथ सरकार प्रोत्साहित कर याद दिला रही है ।
आज की महिलाएं हर क्षेत्र मे इस कहावत के साथ "लाल-हरी पतली मिर्च के जैसे तेज हो गई है । और हर क्षेत्र मे माहिर हो ग ई है ।
इसका लाभ अच्छे और बुरे दोनो मे हो रहा है । इनकी जुबान बिलकुल वैसी चल रही है जैसा उपर वाले नै उन्हे दी है । इनकी जुबान नाँनस्टाप
चलती है यदि ये लोग इसका सही इस्तेमाल करे तो देश की उन्नति और तरक्की हो सकती है । किन्तु कुछ महिलाएं इसका दुर्पयोग कर रही है और लोगो को परेशान कर रही है अब ऐसे मे इन्ही महिलाओं को भी इसकी जिम्मेदारी सोपीं जा सकती है । औरत ही औरत की दुशमन होती है । और औरत ही औरत का फैसला करेगी ।
आज जमाना बदल चुका है तीखी मिर्ची वाली जैसी औरतो को देवी रुप मे प्रस्तुत कर रही है जिसके एक हाथ मे तराजू है और दूसरे हाथ मे तलवार है ऐसी होगी न्यायमूर्ति ।
लेखक-आलोचक-काउसंलर
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