क्राइम रुक नही रहे है दिनो दिन बढ़ रहे है ........! श्रीरामधुन !
क्राइम रुक नही रहै बल्कि दिनो-
दिन बढ़ रहे है -
सरकार कोई भी हो किन्तु आज तक क्राइम रेट कम नही हुआ बल्कि बढ़ा है । और सरकार कुछ भी नही कर पाई ! ऐसा कयूं ? अपराध करने वालो की संख्या भी दिनोदिन बढ़ रही है चूंकि पुलिस का खोफ समाप्त हो गया है ? मोदी की गाँरन्टी भी बेकार साबित कर रहे है ये अपराधी लोग । ये अपराधी जो भ्रष्टाचारो मे लिप्त है उसकी जड़ समाप्त करने का एक ही तरीका है जिससे बेरोजगारी भी दूर
होगा और भ्रष्टाचार भी जड़ से समाप्त होगा -
* रिस्वत और भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारियों/अधिकारियों को तुरंत नौकरी से निकालो और इनके सशक्त कानून लाया जाकर सख्ती से पालन किया जाऐ ।
* बेरोजगार को ईमानदारी की शिक्षा दी जावे साथ ही उहै शिक्षा से संबंधित प्रशिक्षण दिलवाया जाऐ और मेरिट लिस्ट ईमानदारी के साथ बनवाकर इंटरनेट पर अपलोड कर दिया जायै ताकि तुरंत सभी लोगो को पता चल जाये ।
इस प्रकार से दो सबसे बड़ी समस्या हल हो जाऐगी । इसमे सरकार का कोई खर्चा भी नही लगेगा और क्राईम रेट भी अपने आप कम होगा ।
* क्राइम रेट कम करने के लिए सरकार को पुलिस विभाग और देश की सेवा को अधिकृत कर देना चाहिए ताकि वह छोटे से छोटे जुर्म की ओर ध्यान दें । पुलिस और सेना दोनों को आपस में मिलकर एक विभाग बनाकर देश की और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए व्यवस्था की जाना चाहिए, इसमें थोड़ा समय तो लगेगा किंतु कार्य अच्छा से होगा इस पर विशेष ध्यान देकर देश की राष्ट्र की सुरक्षा और क्राइम दोनों पर कंट्रोल किया जा सकता है ।
* सरकार का यह सॉल्यूशन क्राइम दर कम करने को समाप्त करने का बेकार ही साबित हो रहा है़ । जिसने भी जुर्म किए हैं और अपराध किए हैं उनके घरों पर जो बुलडोजर चला जा चलाया जा रहा है वह उचित प्रतीत नहीं होता है चूंकि जिसने अपराध किया है उसै दण्डित किया जाऐ नाकि पूरे परिवार वालो को नुकसान और परेशान किया जायै । बल्कि एक तानाशाह शासन की गुंडागर्दी कहीं जाए तोअतिश्योक्ति भी नहीं होगी । अतः ऐसे कार्य सरकार के द्वारा किया जा रहा है जो नहीं किया जाना चाहिए।
* शासन कोई भी सही कानून आमजनो के लिऐ लेकर आती है तो विपक्ष के साथ-साथ कुछ आमजन भी विरोध करते है यह ठीक नही है इसे भी आमजनता को सोचना होगा तभी देश की तरक्की हो सकती है ।
* कुछ भी हो जाऐ क्राईम दर को कम करने के लिऐ और भ्रष्टाचार समाप्त करने के सरकार और मान० न्यायालय को आगे आना ही होगा ।
लेखक-आलोचक-काउंसलर
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