वर्ष 2024 लोक सभा का चुनाव मे नोटा के बढ़ने का अंदेशा !
"भारत के लोक सभा 2024 चुनाव मे नोटा के बढ़ने का अंदेशा है ?" अथवा पार्टीगत शीट कम होती हुई
नजर आने की संभावना से इंकार करना बड़ी मुश्किल वाली बात प्रतीत हो रही है । हलाकि बहुमत की संभावना ज्यादा है । फिरभी यह चुनाव मे सभी पार्टी को डर लग
रहा है । चुनाव के समीकरण अपने आप मे अजीबोगरीब होगें जो किसी चमत्कार से कम नही होगें ।
हर साल बढ़ रहा है नोटा का बोट देने का ट्रेड। लोकसभा चुनाव में हर बार मतदाताओं की संख्या बढ़ रही है इसके साथ ही वोट देने के ट्रेड में भी बदलाव नजर आ रहा है । दरअसल नोटा उपरोक्त में से कोई नहीं को लेकर आम मतदाताओं की पसंद बढ़ते जा रही है । मतदाताओं की यह पसंद प्रत्याशियों पर भारी पड़ रही है इसका बड़ा हो असर चुनावी नतीजे में सांफ दिखाई देता है पिछले दो- तीन लोकसभा चुनाव में नोटा का उपयोग हुआ है। दोनों चुनाव में नोटों में बोट ने दो-दो लोकसभा सीट में प्रत्याशियों की हार जीत पर अपनी अहम भूमिका निभाई है । कई प्रत्याशियों की कुर्सी हिल गई है । वर्ष 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में अनेकों सीटों पर नोटा का बड़ा असर दिखाई दिया है । खास बात यह है कि आदिवासी बाहुल क्षेत्रो में इसका ज्यादा ही प्रभाव देखने को मिला है । सरकारी कर्मचारीयो का पसंद बना है नोटा को महत्व दे रहे। नोटा तेजी से सरकारी कर्मचारियों क पसंद बना हुआ है ।डाक मत पत्र के जरिए सरकारी कर्मचारी नोटा को महत्व दे रहे हैं । वर्ष 2014 में भी सरकारी कर्मचारियों ने डाक मतदान मतपत्र के जरिए अनेको लोकसभा सीटों में नोटा को दिए गये थे । अतः इस बार 2024 का लोकसभा मे भी पुनरावृत्ति की संभावना दिखाई दे रही है । जिस भी देश मे नोटा का उपयोग ज्यादा मात्रा मे होना पाया जाता है तो समझो वहां की सरकार असुरक्षित है और कभी भी उस देश को अनेको आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है । इसके अलावा अनेको मतदाता चुनाव का बहिस्कार करते है तो अनेको लोग मतदान करते ही नही है अतः ऐसे लोगो का मत भी नोटो के मतदान मे शामिल माना जाऐ । सरकार तो इस तरफ ध्यान नही देगी लेकिन बुध्दिजीवी वर्ग और मान० चुनाव आयोग तथा मान० न्यायालय को तो इस तरफ ध्यान देना परम आवश्यक है ।
लेखक-आलोचक-व० संपादक
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