बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त होता है क्या ?
"बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त होता है "?
इस असंभव कार्य को प्राप्त करने वाले बिरले ही लोगो का इति-
हास तो मिलता है लेकिन उन्है बड़े बड़े इम्तिहान देने पड़े है ,बड़ी-बड़ी कुर्बानीयां देनी पड़ी है उनमे से एक है एकलव्य की स्टोरी जिसने गुरु- दिक्षा मे अपने गुरु को अंगूठा काट-
कर दान मे दिया था । उस समय भी राजनीति उच्च शिखर पर थी ।
किन्तु उस समय राजा-माहराजाओ का जमाना था इसलिये प्रपंच रचकर धनुर्विद्या मे अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ शिष्य बनाने हेतु कूटनीति की ग ई । इसका आशय् यहां यह है कि गुरु मानकर भी शिक्षा प्रप्त की जा सकती है । समय वही चल रहा है पात्र बदले हुऐ है । आज हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी एकांतवास मे तीन दिवसीय तपस्या मे लीन है ।उनकी यह तपस्या शासकीय देखरेख मे जारी है । इस तपस्या मे अनेको अच्छाई और बुराई त्रुटि भी है ।
* जय श्री राधे, भगवान के नाम का जाप बिना किसी गुरु के भी किया जा सकता है और बहुत से लोग करते हैं प्रतिदिन एक माला का जाप अथवा एक माला से कम जब किसी भी मंत्र का किया जा सकता है गुरु की आवश्यकता नहीं होती परंतु उच्चारण सही होना चाहिए और शारीरिक शुद्धता भी जरूरी है।
* बिना गुरु के मंत्र का जाप करना व्यर्थ है और यह व्यर्थ प्रश्न रहेगा परमात्मा कबीर साहब अपनी वाणी में रहते हैं "गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान, गुरु बिन दोनों ने निष्फल है पूछो वेद पुराण। कबीर दास कबीर परमेश्वर जी ने बताया है कि बिना गुरु के हम में ज्ञान नहीं हो सकता । गुरु के बिना किया गया नाम जाप भक्ति व दान कर्म सभी व्यर्थ हैं ।
देश में 18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए करीब ढाई महीने तक चल धुआंधार प्रचार के बाद अब सभी की निगाहें शनिवार को होने वाले साथ में अंतिम चरण के मतदान पर केंद्रित है चुनाव आयोग इसकी पूरी तैयारी कर चुका है मतदान पूरा होने के साथी शाम 6:00 बजे से एग्जिट पोल आने लगेंगे । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कन्याकुमारी तट के पास स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान के दूसरे दिन शुक्रवार को उठाते सूर्य को जल अर्पित किया
क्या बना गुरु साधना संभव है? अगर नहीं, तो आज के समय में गुरु कैसे पहचाने , क्योंकि हर कोई छल करने के लिए बैठा है ऐसे मे साधना की इच्छा रखने वाले लोग कैसे साथ न करें ? अगर तलाश सच्ची है तो गुरु तुम्हें खुद ढूंढ लेंगे !
जब आप साधना शुरू करना चाहे तो सबसे पहले एक गुरु खोजें बिना गुरु के साधना करने का प्रयास न करें । गौतम बुद्ध ने वर्षो तपस्या करने के बाद उन्है ज्ञान प्राप्त हुआ था । वे राजा होतै हुऐ भी भिक्षा मांगते थे किन्तु सभी नियमो का पालन भी करते थे उनके आचरण को अपनाने वाले लोग है कहां । यहां तो दिखावा झूठ फरेब के वातावरण मे कोई बनना भी चाहे तो बन ही नही सकता ।
लेखक-आलोचक - काउंसलर
Comments
Post a Comment