आज सभी हदे पार कर दी !
आज सभी हदे पार कर दी !
आज सभी बंधनो से मुक्त हो गया
और सभी हदे पार कर इस जहां के उस व्यक्ति ने जो 100 लोगो पर राज्य किया करता था । अपने आपको शंहनशाह समझने की भूल करने वाले ने अपना नसीब की लम्बी लकीर को मिटाकर छोटी कर
दी । मुक्कादर के बादशाह ने जब आँख खोलकर देखा तो अंतिम बार
देखा । उस समय उसे एक स्थिरता दिखाई दी,वह समझ गया कि अब अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर होते जा रहा है । जिस पर चलने से कितने लोगो का जीवन जुड़ा है वह समझ पाने मे असमर्थ था । सब कुछ ठीक चल रहा था । फिर ऐसी कौनसी समस्या थी जो लगातार परेशान कर रही थी । विछोह की स्थिति बहुत ही खतरनाक होती है मौत उसी छलावा मे से एक है । जब किसी इंसान की मृत्यु का समय नजदीक आता है तो वह धीरे-धीरे अपने अच्छे कार्यो को भूल जाता है और बुरे कर्मो की ओर
आकर्षित होते जाता है । यहां पर भी ऐसा ही हुआ है । जहां से चला
था वही वापिस आ जाता है । वैसे भी प्रकृति का नियम भी है । ऐसे समय मे सभी हदे पार कर जाता है
और धीरे से चुपके से बिना बताए निकल जाता है और आजाद हो जाता है किंतु जीते जी सबको परेशानी मे डाल जाता है ।एक की आजादी और अनेको की बरबादी, यादो मे छोड़ जाता है ।
लेखक-आलोचक- प्रबंध-संचालक
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