झूठ की पोटली मे बंद मौत का पैगाम !

झूठ की पोटली मे बंद मौत का पैगाम !
      इस दुनिया में झूठ बोलने वालो की कमी नही है । जिसके कारण आज वे परेशान है,और जीवन भर परेशानीयां उठा रहे है । 
               झूठ की बुनियाद  पर बनी ग्रहस्थी कभी नही टिकती । ऐसे प्रकरणों की खबरे हमेशा मिलते रहती है । मै दूसरो के उदाहरण नही दूंगा । मै अपने पुत्रो का ही उदाहरण दूंगा । झूठ बोल बोलकर गुमराह करते रहे । ये झूठ भी ऐसा बोलते थे कि झूठ की कोई गुंजाइश ही नही रहती थी । और उनसे  झूठ बुलवाया जाता था उनकी पत्नियों के द्वारा । 
     बच्चे माँ-बाप से झूठ बोलते है लेकिन उसकी एक सीमा होती है । और यह सीमा पार करवाती है उनकी बीबीयां तथा झूठ पर झूठ बुलवाती है ।
जब यही झूठ अत्यधिक हो जाता है तो उस इंसान को अपनी की ग ई गलतीयो का , बोले गये झूठ  का अहसास होता है लेकिन जब तक बहुत देरी हो चुकी होती है । ऐसे मे उनके पास एक ही रास्ता रहता है या तो वे पश्चाताप करे या अपना जीवन समाप्त कर ले । मेरे प्रकरण मे भी कुछ ऐसा हुआ है । पत्नियों की बेवफाई, रुसवाई के कारण दोनो ने शायद ऐसा कदम उठाया होगा । झूठ की पोटली मे बंद कर उसका बोझ उठाते रहे कि कभी तो अच्छे दिन आऐगें इस तस्सली के साथ अपना जीवन जीते रहे लेकिन कब तक ? फिर भी  प्रयास करते रहे किन्तु  सामने वालो ने कोई रिस्पांस नही दिया बल्कि उन्हे नानाप्रकार से परेशान करते रहे, उलहना देते रहे । तंग आकर उन लोगो ने इस दुनिया को छोड़ने का फैसला कर लिया । और सब कुछ बदल गया ।इतिहास अपने आपको दोहराते ,हम समझ नही । तूफान थमा तब पता चला कि हमने क्या खोया ,क्या पाया । पहला तूफान 2010 मे आया था और दूसरा तूफान 2024 मे ।  अब यदि झूठ अत्यधिक मात्रा मे होता है तो बदबू मारने लगता है और नानाप्रकार की लाईलाज बिमारियों को जन्म देता है ।इसलिए कहा जाता है झूठ बोलना किसी पाप से कम नही है । सब जानते है फिर भी झूठ बोलने से बाज नही आ रहे है ।
    झूठ की पोटली मे बंद मौत का पैगाम ऐसा आया जिसके बारे मे मैनै कभी सोचा भी नही था । किसी की याद मे ,किसी के धोखे को सहन नही कर पाया और मौत चुपके से आई और छोड़ ग ई तबाही के मंजर, हमारी आँखो  सामने । 
    जो कुछ भी उसमे झूठ,फरेब का विशेष योगदान रहा ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
लेखक-आलोचक-काउंसलर

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