दुनिया की भीड़ मे एक मुसाफिर ..!

 दुनिया की भीड़ मे एक मुसाफिर !
  सुख चैन छीनने वाला कहां  है ।।
सारे जहाँ मे सब है सिर्फ वही नही।
 जाना नही था फिर भी चला गया।
गुस्सा तो हर बार आता था किन्तु इस बार जरूरत से ज्यादा आ गया
मौत हर बार की तरह इस बार आई 
तो समझे मजाक,हकीकत बन ग ई 
विश्वास नही होता किंतु सही बात है
समय और समझ भी धोखा दे गये
क्या  होना था क्या हो गया शायद
तकदीर ने,प्रकृति को मात दे दी थी
सब कुछ बदला बदला लगने लगा  
क्या करे परिवर्तन युग चल रहा है ।जाने वाला चला गया लौटकर नही आऐगा ।
धीरे धीरे यादो से भी ओझल हो जाऐगा ।
दुनिया चलते रहगी मुसाफिर आते- जाते रहेगे ।
सभी मुसाफिर है मै भी एक मुसाफिर हूं ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन दार्शनिक लेखक-आलोचक

Comments

Popular posts from this blog

दिलिप बिल्डकाँन के कर्मचारी अर्पित कुंवर का निधन !

28 जून 2024-श्रृध्दाजली दिवस !

आज के इतिहास मे 16 जून 2024 का विशेष महत्व !