अज्ञातवास मे क्या खोया, क्या पाया ?

अज्ञातवास के सफर मे कया खोया,
क्या पाया ? बतला रहे है गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन -
भारत सरकार व म०प्र० सरकार के
रवैय्या से नाखुश होकर एक धर्मयुद्ध के तहत अज्ञातवास का सफर शुरू किया था । सरकारी तंत्र
का तो कुछ नही हुआ किन्तु उसकी छवि पर तो असर हुआ वो भी धार्मिक असर हुआ यह कि सरकार
बहुमत प्राप्त नही कर पाई ।
      निहति के कालचक्र मे फंसे गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन को जन-धन की क्षति पहुंघी इसकी भरपाई कौन करेगा ? इस प्रशन्न का जबाव किसी भी सरकार के पास नही है ।
       मुझे इस तरह का अज्ञातवास का निर्णय लेने का तथा चैलेंज देने का कोई अधिकार नही था फिर ना जाने कौन सी ऐसी शक्ति मुझसे यह कार्य करवा रही थी । शायद निहति ही मुझसे करवा रही थी । मेरे इस अज्ञातवास ने मुझे ढेरो सबक भी दिऐ हलाकि मै इस अभियान सफल भी हुआ किन्तु जरुरत से ज्यादा हानि उठानी पड़ी
मैने सरकार पर भरोसा किया किन्तु
सरकार ने मेरे साथ बहुत ज्यादा नुखसान किया । इस धार्मिक कार्य करने मे दो लोगो की जन-धन क्षति का नुकसान उठाना पड़ा । मेरी  जिम्मेदारीयां ओर भी ज्यादा बड़ 
ग ई है । धार्मिक एवं सामाजिक कार्य तो चलते रहेगे किन्तु सरकार
के बिना अनुमति के । मुझे अपने सत्य पर जो भरोसा था उसने साथ
नही दिया और मै जहाँ से चला था
वही पहुंच कर समापन करने लगा।
कुल मिलाकर  नेकीऔर भलाई के कार्यो मे फैल हो गया हूं । भले ही आज परेशान हूं लेकिन अब जाग  गया हूं । आज मुझे दुश्मन भी प्यारे लगने लगे है । क्योंकि अब अपने वालो की संख्या कम होने लगी है तो इन्ही लोगो के बीच रहना पड़ेगा,
इन्ही लोगो के सहारे बाकी जीवन बिताना एक मजबूरी है । सामने वाला तो कभी नही बदलेगा हमी को बदलना होगा । समय परिवर्तन चिल्लाते चिल्लाते समय परिवर्तन ने आखिरकार सभी लोगो को अपनी चपेट मे ले लिया । अब तो सभी को समय परिवर्तन का अहसास सभी को होने लगा है और
मुझे भी होने लगा है । मेरी दुनिया ही बदल चुकी है । जो नही होना चाहिये था वो गया ।
     अज्ञातवास के जरिए  मै देश को बचाने चला था,सफल भी रहा किन्तु अपना सब कुछ खोने के बाद
कही भी कोई वदलाव नही हुआ ।सिर्फ मुझे ही अपने आपको बदलना ज्यादा उचित लगा । चूंकि
हर क्षेत्र मे एक गाँड फादर चाहिए बस उसी की कमी के कारण मेरा कार्य अधूरा रह गया । कोई  भी सहायता करने नही मिला । पार्षद से लेकर मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री स्तर तक के लोगो ने किसी भी प्रकार की मदद नही की तब अज्ञातवास का निर्णय लिया गया था । मै अपने कार्य में सफल तो रहा लेकिन उसके लिऐ बहुत बड़ी धन-जन क्षति उठानी पड़ी है जिसमे सरकार का भी कही ना कही हाथ होना माना जा सकता है।
यदि सरकार टूस्ट "माँ आदिशक्ति दर० धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट" भोपाल की समस्याओं को हल कर 
देती तो आज सरकार मे बहुमत भी
होता और मुझे जन-धन क्षति भी नही होती । अभी भी सरकार के पास समय है वह अभी भी कुछ कर देती है तो सब ठीक हो जाऐगा।
क्योकि टूस्ट का प्रकरण अभी भी म०प्र० सरकार मे विचाराधीन है ।
शेष अगले अंक मे -
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
लेखक-आलोचक-काउसंलर

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