क्या प्यार करना गुनाह है ?
प्यार करना बहुत ही बड़ा गुनाह है और वो भी उच्च और नीच कुल का हो ? ऐसा क्यो होता है ! इसके आलावा और भी कई बाते है उन्हें बतला रहे है - आज का सत्यवादी "गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन "
प्रेम करना कोई गुनाह नही है । किन्तु प्यार करना अलग बात है और शादी करना अलग बात है । इन दोनो मे काफी अंतर पाया जाता है । प्रेम करने वाला प्रेमी अपनी जान दे देता है उस समय जब उसे पता चलता है कि उसकी
प्रेमिका उससे प्रेम नही करती है और किसी की तरफ आकर्षित हो रही है । ऐसा प्राय: हम रोजाना सुनते है और समाचारपत्रो मे आऐ दिनो पढ़ते रहते है । इन्ही प्रकरणो पर अधारित अनेको घटनाऐ आज से नही पहले से घटती चली आ रही है । दोष किसका है और किसका नही, सभी अपने अपने तर्को के अधार पर जीत जाते है सीधासाधा व्यक्ति तर्क- हीन,तथ्यहीन व्यक्ति तो अपने आप मे जिल्लत भरी जीवन से निजाद़ पाने के लिऐ अपने आपको समाप्त करने के लिऐ अनेको रास्तो मे से जो सरल और सुगम रास्ता चुनता है ,इसकी सबसे बड़ी जड़ है वह निकाह, आफिस जिसमे वह सर्विस करता था जहां से उसे म०प्र० से बाहर भेजा गया और कोरोनाकाल । दिलिप बिल्डकाँन प्रायवेट लिमेटेड
कम्पनी भोपाल । यदि स्थातंरण नही होता तो विवाद भी नही होता और आज वह जीवित होता ।
जब कोई व्यक्ति अपने प्रेमी को जरुरत से ज्यादा प्रेम करता है और वह सामने वाला व्यक्ति किसी दूसरे के साथ देख लेता है । तब उसे अपने आप पर अपने पुरुषार्थ पर एक खीज उत्पन्न होती है और वह धीरे-धीरे डिप्रेशन मे जाने लगता है और ऐसी बाते जब किसी से शेयर भी नही करता है तब वह अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनता है और निर्णय ले लेता है । ऐसी विचारधाराओं मे लगभग एक साल विचरता रहता है । उसकी सारी एक्टविटीज़ चैंज होती जाती है जो कोई भी जानकार जान जाता है ,समझ जाता है फिर भी कुछ नही कर पाता चूंकि निहति भी उसके पक्ष मे चली जाती है और भाग्य मे भी वही लिखा होता है वह ऐसी-ऐसी स्थिति निर्मित करती है और घटना घट जाती है । आज मै ऐसे ही एक सच्ची कथा की ओर इसारा कर रहा हूं जो अपनी पत्नी को बच्चो को बहुत चाहता था । दोनो मे गलतफहमी के शिकार हो जाते है अलग-अलग रहने लगते है । पत्नी बच्चो और अपने दोस्त और माँ-बाप ,भाई-बहन रिस्तेदारों के साथ मिलकर अपना जीवन यापन करने लगती है । इस बीच दोनो मे थाना,कोर्ट-कचहरी मुक्कदमा चलता है । एक बेरोजगार पति गुजाराभत्ता देने लगता है इस इंतेजार के साथ कि उसका परिवार फिर से बस जाये किन्तु उसकी उम्मीद पर जब पानी फिरने लगता है और इसी गम मे एक दिन अपना जीवन समाप्त कर लेता है ।
अब यहाँ दोषी कौन है ? कोर्ट का निर्णय अथवा पति-पत्नी ? अथवा दिलिप बिल्डकाँन लिमि० कम्पनी भोपाल ? यह आम जनता को फैसला करना है !
"प्रेम करना अपराध नहीं है बल्कि दूसरे के पति के साथ विश्वासघात् करना अपराध है "। अगर किसी विवाहित व्यक्ति को किसी दूसरी विवाहित महिला से प्रेम हो जाए और वह महिला भी उसे प्रेम करने लगे तो क्या करें ? क्या ऐसे मे अपनी प्रीतम को खुले में गले लगाना चाहिए अथवा उनके माथे पर चुमना चाहिए ? यह भी एक जुर्म है ?
क्या किसी से प्रेम करना अपराध है ?
नहीं ,हमारी नजर में प्यार करना वह भी जब इसमें दोनों की सहमति हो तो या पाप की श्रेणी में नहीं आता है ! नहीं ,लेकिन अगर वह प्यार के बहाने किसी को गलत शब्दों का इस्तेमाल, गंदे इशारे या कोई भी ऐसी हरकत जिससे महिला या किसी को भी अपमानित किया जा रहा हो ,उसकी प्राइवेसी भंग हो रही हो ,जरूर अपराध की श्रेणी में आ सकते हैं । या फिर किसी ऐसे ऐसी हरकत जिससे महिला को ऐसा महसूस हुआ हो जैसे कि उनका पीछा करना ,उनके मन करने के बाद भी प्रस्ताव रखना यह बात बिल्कुल सिपरिया नहीं है इसी के साथ-साथ यह किसी भी नाबालिग महिला को या सोते हुए प्रपोज प्यार करने के दावे पेश करने वालों को पाँक्स एक्ट के तहत कानून अपराध की श्रेणी में ला सकता है ।
इसके अतिरिक्त अपराध क्या है- यह तो हम सब जानते हैं अपराध क्या है ? चोरी करना, अपने साथी पर हाथ उठाना ,उनका शोषण करना, देश की मांग करना बलात्कार करना, हिंसा है जरूर अपराध है । लेकिन जब तो वेस्ट का अपना अच्छा बुरा खुद समझते हुए एक दूसरे से प्यार करते हैं तो यह अपराध नहीं है
क्या प्रेम किसी से भी हो सकता
है ?
हिंदू लड़कियों के विषय में यह बात सही सिद्ध होती है जब हम नित्य लव जिहाद के पांच मामले सामने देखते हैं हिंदुओं की बेटियां पंचर बनाने वाले पलंबर मिस्त्री सब्जी वाले जोमैटो किसी से भी प्रेम कर लेती हैं पर माता-पिता जब लड़का देखते हैं तो बेवफा के लिए उन्हें अपना मकान सरकारी नौकरी वाले लड़के ही चाहिए होते हैं और सास ससुर नंद देवरा तो नहीं ही होना चाहिए पर उन्हें जब तक के लिए प्रेम किसी से भी हो सकता है वह अत्यंत उधर होती हैं जहां तक प्रेम का प्रश्न है।
* क्या किसी से भी प्रेम हो सकता है हां यदि बिल्कुल बेल को और जिंदगी में करने के लिए कुछ नहीं हो तो वरना आज की व्यस्त और तनाव भरी जिंदगी में प्रेम मात्र ढाई अक्षर का शब्द है जो शब्द कोष में भी नहीं मिलता सिर्फ कबीर या रहीम के दोहो मैं मिलता है ।
स्त्री किससे प्रेम करती है ?
स्त्री सिर्फ खुद से प्रेम करती है। खुद की जरूरत खुद की मैं महत्व पहुंच से स्वास्थ्य से भरी होती है उनके मन की सी हो तब तक तो ठीक है लेकिन जरा उनके विपरीत बोलो तुरंत पूरा मान जाएंगे इनको मनमानी ही करनी होती है । ना किसी की सुनना है ना किसी की बात मानना है । सास से झगड़ा की वजह से यही होती है उसे मनमानी करनी है और सास ने कुछ बोल दिया तो झगड़ा करना है । लेकिन सास भी तो औरत ही है वह कैसे मनमानी करने देगी , अहम आ जाता है । कथा अभी बाकी है ।
लेखक-आलोचक-काउंसर
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