लिखने को अभी बहुत कुछ बाकी है !

समयाभाव की एक पहल -
       आज समय किसी के पास नही है आखिरकार क्यूं  ? 
"लिखने को अभी बहुत कुछ बाकी है " समय कम पड़ रहा है ! लिख तो रहा हूं लेकिन पढ़ने वाले नही है " !
     लिखना-पढ़ना अजर अमर है , जरुरी है कभी ना मरने,मिटने वाला है । जैसे हमारे शरीर आत्मा निवास
करती है वह अजर अमर है । शरीर से आत्मा निकलती है वैसे ही दूसरे के शरीर प्रविष्ठ कर लेती है । यह सब जन्मोपरांत का लेखा-जोखा ईश्वर द्वारा प्रदत्त होता है जिसके बारे मे कोई साक्ष्य नही है फिरभी लोग मानते है । धर्मशास्त्रों का लिखा हुआ प्रमाणन तौर नही माना
जा सकता । कही कुछ तो कही कुछ लिखा हुआ है ।जिसके बारे अच्छा लेख लिखा गया है तो उसकी आलोचना करके गलत बाते
भी लिखी है यही हमे इतिहास भी बतलाता है । इसका मतलब तो यह हुआ कि समयकाल देश परिस्थिति
के अनुसार ही लिखा जाता है । ऐसी अनेको बाते जो समयानुसार लिखी जाती है जो उस समय परि-
स्थितियो के अनुसार सत्य प्रतीत होती है । लेखन कार्य इतना सरल नही है जितना समझा जाता है । लेखन कार्य मे सभी प्रकार के लेखो
का समावेश होता है । यह अपनी अपनी रुचिकर भी होता है । आज धीरे-धीरे बड़ी-बड़ी लाइब्रेरी का चलन भी समाप्त होने के कगार पर है । पहले लोग लाइब्रेरी मे बैठकर पढ़ाई करते थे । लाइब्रेरी के कुछ नियम होते थे जिसके अंतर्गत वहां
पर शांतिपूर्ण माहोल बना रहता था। सभी चीजे समय समय पर चलती है,बनती है,बिगड़ती है और ऐसा करना हमारी मजबूरी रहती है। दोष किसी का भी नही है यह सब समयकाल  देशकाल परिस्थितियो पर आधारित होता है । एक समय गांधी जी को लोग बहुत सम्मान देते थे आज उनके भी आलोचक पैदा हो गये है बहुत ज्यादा गंदा गंदा लिखते है उस ये लोग कहां थे ऐसे अनेक सवालों का जबाव हमारे इतिहास के पास इसका जबाव नही है । 
      जो कुछ भी समय बचा है उसे व्यर्थ ना गवाऐ और कुछ ना कुछ करते रहे । इससे लाभ हो रहा है या
हानि हो रही है उसकी परवाह ना करते हुऐ लगन और मेहनत का काम करते रहे । मेहनत से किया गया कार्य अच्छा ही फल मिलता है । सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आपके परिवार वाले इसको अपने जीवन मे उतारने की कोशिश जरुर करेगें । हमने इस विषय सर्वे कराया और पाया कि आज का इंसान झूठ का सहारा लिऐ हुऐ जी रहा है । काम ना होने पर भी अपने आपको व्यस्त बताने की कोशिश करता है जबकि वह कोई व्यस्त नही होता है और झूठ बोलकर टालमटोली करता है और वो बहाना क्या करता है कि समयाभाव के कारण नही कर पाया । ना करना को समयाभाव पर डाल देता है ।
हमने अक्सर सुना है कि समय के अभाव की कमी ,समय नहीं मिलने की कमी ,पत्र का उत्तर ना दे सका समय अभाव के कारण ,कसरत नहीं कर सका समय न मिलने के कारण और लिख पढ़ नहीं पता समय की कमी के कारण को कहता है ।किंतु यदि हम सही ढंग से आत्म विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि यह हमारी उन कामों को ना कर सके जिसे वह करने पर उतारू है जिसे करना वह अनिवार्य मानता है समय पर नही कर सके या छोड़ दिऐ तो उसका कारण भी समयाभाव बतलाकर अपना पल्ला
झाड़ देता है जबकि यह कहना गलत है ।यही झूठ आगे चलकर बहुत बड़ा नुकसान करवाता है ।
गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन
लेखक-आलोचक-काउंसलर

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