मैने अपने पूरे फर्ज निभाऐ, क्या मिला ?" श्रीरामधुन "
मैने अपने पूरे फर्ज निभाऐ मुझे क्या मिला , जहा से चला था वही पर आज तक वही खड़ा हूं । जीवन मे कोई परिवर्तन नही हुआ ।जो भी अच्छा बुरा समय एक सपने की तरह बीत गया । अभी भी कुछ काम बाकी है वह पूरा नही हो पाया उसकी वजय है वर्तमान सरकार और समय का भाग्य । अब समय कम रह गया है वह काम पूरा होगा कि नही । मैने जो भी सोघा वह सब का सब पूरा हुआ । तो मेरे अधूरे कार्य के पीछे मेरे ही अपने है अन्यथा वो अधूरे कार्य भी पूरे हो जाते । मेरा फोकस अधूरे काम की तरफ है किंतु समय साथ नही दे रहा है । हर संभव कोशिश के बाद भी अकेला का अकेला रह गया । अकेले के दम पर बड़े-बड़े कार्य किऐ है । मेरे जैसा आज तक नही मिला नही तो मंजिल कब की मिल ग ई होती ।नियत मे कोई खोट नही है । सरकार ने मेरे साथ धोखा किया है । धोखा दिया है इसी वजय से आज मुझे चारो ओर नजर आते है । सब अपनी स्वार्थसिद्धि मे लगे हुऐ है । आज तक मुझे कोई नही समझ पाया तो सरकार क्या समझ पाऐगी । हमारे देश मे मंदिरों के निर्माण हो रहै है क्या ये सभी धार्मिक लोग है , बिलकुल नही । ये सब धर्म की आड़ लेकर राजनीति कर रहे है और आमजनता को लूट रहे । आमजनता मे गरीब और अतिगर