जिंदगी और मौत के बीच का एहसास'↑ आज तक कोई समक्ष नही पाया है ,जो समझ गया तो वो कुछ नही कर पाया ना ही लोगो को समझा पाया । "श्रीरामधुन " इस परिवर्तन युग ऐसा ही देखने को मिल रहा है कि अच्छी बाते,सच्च बाते लोगो को कड़ुवी लगती है और वह जल्द ही रिस्ता तोड़कर हमसे दूर हो जाता है । इस रिस्ते को क्या नाम देगे ? कल तक जो पैर पड़ता था आज वही पैर पड़वा रहा है । यह तो उन लोगो की बाते है जो दुनिया छोड़कर चले गये है । जो साथ मे है वे भी सबक नही लै रहे वही बाते दोहरा रहे है , बुरा मान रहे है, गुस्सा बतला रहे है जबकि यहां पर जो भी समझाइश दी जा रही है उसमे उनकी ही भलाई छुपी हुई है । ऐसे लोगो के बारे मे आप अपनी राय से जरुर जरुर अवगत कराऐ । गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन लेखक-आलोचक-काउंसलर मेरी अपनी राय मे - मेरे ही लोग शामिल है उन्ही लोगो के बारे मे लिखा गया है । सब अपनी अपनी समझ का फेर है । कभीकभी ऐसा लगता है कि कोई हमे इगनोर कर रहा है किन्तु ऐसा नही होता है । कुछ लोग ऐसे होते है जिससे बात करने मे व्हाट्सएप् पर बात करने पर दिल को बड़ा अच्छा लगता है । भले ही हम उससे कितने ही दू