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Showing posts from December, 2021

वृध्दजन "ओल्ड ऐज होम"..... .

    आज दिनांक 31-12-2021 के समापन दिवस पर और नव -वर्ष 01-01-2022 के आगमन पर  गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन द्वारा वरिष्ठ नागरिक, वृध्दजनो को समर्पित कर सरकार का ध्यान आकर्षित करवाने का प्रयास किया है और बधाई दी है ।                                            केंद्र सरकार और राज्य तं के द्वारा वृध्दजन हेतु ओल्ड ऐज होम ना जाने कितने चल रहे है और सरकार द्वारा करोड़ों रू०देना पड़ता है । अब सरकार चाहती इन्हें बंद छंयं जाऐ । सरकार के गले मे फंसी यह फांस कैसे निकाला जाए । सरकार हमेशा ही घोषणा करते आई कि बुजुर्गों को हर संभव  मदद करनी है । नानाप्रकार की सु्विधाऐ भी दे रही है ।किंतु सोचती भी होगी कि आखिरकार कब तक ? चूंकि सरकार,सरकारी अफसरो  से ही चलती है, ये सरकारी अफसरों मे कुछ अच्छे तो कुछ बुरे तो कुछ सनकी तो कुछ पागल अर्थात सर्वगुण सम्पन्न  तरह के होते है । अब नेताओं को जैसा काम करवाना होता है तब इन्हें प्राप्त योग्यताओं के आधार पर कार्य सोपा जाता है ।     शिवराज सरकार ने अभी अभी हाल मे म०प्र०की राजधानी भोपाल में ओल्ड ऐज. होम  बनाने की ऐक योजना की घोषणा की है । इस योजना मे गरीब व मध्यम वर्गीय लो

वर्ष 2022 का प्रवेश ......

वर्ष 2021 आमजनो का जैसा भी बीता,बहुत अच्छा बीता, कोई गिला-शिकवा नही करते हुए वर्ष 2022  के पहले  दिन की शुरुआत अच्छे कार्यों से करे और एक नियम,कठोर नियम बनाए और प्रतिज्ञा ले कि चाहे कुछ भी हो जाऐ नियम नही टूटने देगे । बस आपको उस कार्य मे सफलता जरूर मिलेगी । नई उम्मीद के साथ आगे बढ़े सफलता की पहली सीढ़ी आपका इंतज़ार कर रही है । खुशियों और प्रगति की संभावनाओं से भरा नया साल आपका स्वागत कर रहा है बस आपको पहला कदम बढ़ाने की जरूरत है  ।    वर्तमान मे बुजुर्गों की सेवा करना है वे हमारे और देश के प्रवर्तक है हमारे धर्मशास्त्र व सरकार का कहना है ।इसी बात को लेकर आ रहे है विशेष लेख लैखक ,आलोचक गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

आज विश्व शांति ध्यान दिवस पर ....

    आज 31-दिसंबर को पूरा विश्व शांति दिवस के नाम से मनाता है । कही कही तो इसका इंतजार पूरे साल करते है । यह पूरे साल का अच्छे और बुरे कर्मो का यादगार दिवस भी कहलाता है । यह साल का अंतिम दिवस है और नये साल आगमन का  दिवस भी होता है । इसी कारण से लोग अपनी यादो मे समेटने और नया कुछ करने के लिये आज का दिन का इंतेज़ार करते है । हमारे देश में पहले कोई चलन नही था । यह विदेशी परम्परा है जो अब भारतवर्ष में भी मनाया जाने लगा है । इस दिन को बिदाई देना और स्वागत करने का भी दिन कहा जाता है । इसमै खुशी और दुख दोनो का समावेश होता है ।अब ऐसे समय का इंतजार करना ही चाहिए । आज के दिन जो कुछ भी आपने इस वर्ष में किया है ,उसका विश्लेषण करके ,बुरे दिनों को भूलकर अच्छे कार्यों को याद करके नये वर्ष का स्वागत कर,अच्छे काम के लिये प्रतिज्ञा लेने के दिन को यादगार दिवस बनाऐ । कहने और लिखने को तो बहुत है इसी सारतत्व मे से आपको मोती निकालना है ।नये साल मे सभी देशवासियों को गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन की ओर से "नववर्ष 2022 के आगमन पर हार्दिक बधाई । "आज का सत्यवादी" श्रीरामधुन

आम-आदमी लखपति फिर भी गरीब................

     हम इतिहास पर नजर डालते हैं तो आम आदमी अपने पूर्वजों से ज्यादा बेहतर स्थिति में है ।हर इंसान की कीमत तो लगाना मुश्किल है किंतु लखपति से कम भी नहीं है ।      जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे तरक्की के साधन भी बढ़ते गए आज उच्च जनसंख्या वृद्धि के विरोध कर रहे हैं वैसे उनकी मांगे भी अपने स्थान पर सही है किंतु हम बढ़ती हुई आबादी में से तरक्की करें देश को गौरवान्वित करने वाले व्यक्ति को छोड़ते हैं तो इस आबादी में से निकल कर आते हैं जिससे कि आज का निर्माण होता है अब ऐसी स्थिति में बढ़ती हुई आबादी के बारे में क्या कहें पहले साधना और साधक कम आवश्यकताएं कम तो साधन भी सीमित है जैसे-जैसे परिवार बढ़ते गए आबादी बढ़ती गई वैसे-वैसे गुजर-बसर करने के लिए लोग अपना अपना साधन जुटाने लगे एक खेती हर इंसान की सीमित भूमि का भी बंटवारा होते-होते कम हो गया ।      आज तलक पति का महत्व खत्म होकर कौन बनेगा करोड़पति हो गया पहले लखपति बनना मुश्किल था और आज करोड़पति बनना भी मुश्किल हो गया है यह है कि समय का परिवर्तन इसी युग में दुनिया चलती रहेगी जैसे-जैसे जनसंख्या में बढ़ोतरी होगी वैसे वैसे उसके मूल्य की भी प्रति

रिजोल्यूशन प्लानिंग डे

आज का दिन  नेशनल रिजोल्यूशन प्लानिंग दिवस पर गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन का कथन है कि रिजोल्यूशन शब्द का इस्तेमाल ज्यादातर कम्प्यूटर से संबंथित होता है । आज कम्प्यूटर आमजनों के लिऐ बहुत जरुरी चीज हो गई है ।आज जो मोबाइल घरोघर मे हर व्यक्ति के पास है, वह मिनी कम्प्यूटर है जिसके उपयोग से आप किसी प्रकार के काम कर सकते है । अब तो इसे सरकारी तौर से अधिकृत  भी कर दिया गया है। मोबाइल, कम्प्यूटर ज्ञान अति आवश्यक हो गया है तो उसका इस्तेमाल करने के लिए हमे उसका उपयोग करना भी आना आवश्यक हो गया है । आज का दिन वही दिन है जिसे करने के लिए राष्ट्र अपना जागरूकता अभियान के अंतर्गत संदेश प्रसारित कर रहा हैं।     भारत के आलावा देशो-प्रदेशो मे कोरोना का विस्फोट का कहर जा रही है।अधिकांश जगहो पर प्राकृतिक आपदाओं का कहर जारी है ।ओलावृष्टि, कोहरा और ठंडी हवाओं के साथ साथ सूरज की लुकाछिपी का भी खेल चल रहा है । आज 30-12-1975 को हिंदी कवि, कथाकार और गजलकार दुष्यंत कुमार जी की पुण्यतिथि भी है । इस संबंध मे, पुण्यतिथि तिथी के संबंध मे सभी देशवासियों को बतलाना अति आवश्यक है कि टूस्ट "माँ आदिशक्ति दर०धार्मिक एवं प

आपका अपना हक.........

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 किसी भी परिवार, चाऐ वह अमीर हो या गरीब हो,ऐक सपना होता है कि स्वयं का एक मकान हो । अमीरों के पास तो सर्वे सुविधाओं यत मकान होता है किंतु गरीबों के पास रहने के लिऐ अपना आशियाना का सपना होता है । देश को आजाद हुए लगभग 75 वर्ष हो गए है । गरीबों का सपना पूरा नहीं हुआ है । सरकार अपने संविधान के पालन  करने कृतसंकल्पित हो रही है और उसका पालन भी कर रही है  ।     किसी भी व्यक्ति अथवा परिवार का एक महत्वपूर्ण सपना होता है कि उसका स्वयं का का मकान हो,जिसे वह अपना समझे और जीवन शांतिपूर्ण चला सके ।आवास होना व्यक्ति या परिवार की मानसिक, शरारिक और मानसिक तथा सामाजिक सुरक्षा का धोतक है । संयुक्त राष्ट्र तथा उसके विभिन्न निकायो  के पर्याप्त आवासों के अधिकारो  को बुनयादी मानव अधिकार की स्वीकृति प्रदान की है ।     भारत ने पर्याप्त आवास के अधिकार के संदर्भ  मे अंतरराष्ट्रीय समझोते पर हस्ताक्षर किऐ है । इसके वावजूद भी अभी तक कई लोग हैं जो बिना छत के अपना जीवन व्यतीत कर रहे है । पर्याप्त आवास मे चार दीवार और छत के अतिरिक्त बिजली पानी की सुविधा के साथ साथ स्वच्छता, सीवेज.प्रंबधन को भी शामिल किया जाता है । भार

आज "टिक टाँक डे" पर विशेष लेख

आज का समय "टिक टाँक डे "के नाम से जाना जाने लगा है । पूरा विश्व मै इसका चलन चल रहा हैं और इसका उपयोग किया जा रहा है ।    दिन की शुरुवात अच्छी बनाने के लिए, उस दिन के बारे मे जानना जरूरी है कि इस दिन का इतिहास क्या है, महत्व क्या है ! दिन,तारीख और समय को देखते हुए उस दिन की शुरुआत करे ऐसा मानना है "ज्यौतिर्विद" गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन का ।आज का दिन इतना आसान बनाया जाये कि सभी कार्य निश्चित समयसीमा मे पूरा हो जाऐ । ऐसा करने से आपकी रात भी खराब नहीं होगी, सुख की अनुभूति होगी, नींद भी अच्छी आएगी ।   अच्छे मन से किया गया कार्य मे निश्चित रूप से सफलता मिलती ही है। कार्य की शुरुवात छोटी हो,रफ्तार भी धीमी रहे तो वदलाव भी धीरे धीरे मन से आएगा तो बाधाएं भी आऐगी और वहीं हमारे लिऐ परीक्षा की घड़ी होगी   गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन

मन की शांति के उपाय..... श्रीरामधुन...

 मन मे उठ रहे ढेर सारे सवाल हो अथवा कोई भी बड़ी से बड़ी संक्रमण बीमारी हो ,जो पहले कभी नही हुई हो। हमने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा समय आएगा और हमे इस प्रकार की  परेशानी से परेशान होना पड़ेगा । हम सब मे एक डर,चिंता और भय के दौर से गुजरेगें । डर एक स्वाभाविक प्रक्रिया है ।यह किसी भी वजय से आ सकती है । अब ऐसे समय और ऐसे वातावरण से घबराए ना ही सामने वाले को डराऐ । बड़ी शांति के साथ परिस्थितियों का अवलोकन कर अगला कदम उठाए साथ ही यहां पर बहुत जरूरी हो जाता है कि स्वयं को संभाल और अपने परिवार के साथ साथ अन्य लोगो को इस प्रकार से संभाले कि नाकारात्मक वातावरण मे अच्छी तरह से रह सके और अपनी साकारात्मक सोच कै साथ आगे बढ़ सके । हम अपनी परेशानी को पहचाने :-      (1 )कभी कभी हमें लगता है कि  कोई बुरी  खबर  फोन पर ना मिले तो फोन की घंटी बजने से डर जाते है ।      (2)समाचार पत्र पढ़ने से बुरी खबर दिन सोचते रहने से ,कही मेरे साथ ऐसा तो नही होगा सोचना      (३) संक्रमण बीमारी होने से निगेटिव सोचना   ।      (4)भूख ,नींद ना आना। खाने मे लापरवाही ।      (5)निगेटिविटी ।      (6)सपने मे डरना,बार बार निगेटिविटी पर

आज" विश्व फ्रूट केक डे"

आज दिनांक 27 दिसंबर को सारा विश्व " फ्रूट केक डे" मनाता है । यह पराम्परा विदेशों मे ज्यादातर प्रचलित है । आज भारत भी 21 वी सदी का भारत बन चुका है, अग्रसर है ।    देशो में प्रचलित पराम्परा कोई भी हो उसका मकसद बहुत ही अच्छा होता है । इसकी तह तक पहुंचते इंसान अपनी सारा व्यतीत कर देता है और समझ नही पाता है । और समझता तब है जब वह समझाने की स्थिति मे नहीं होता है ।     अतः अभी भी हमारे पास समझने समझाने के लिए जो भी समय है वह बहुत समय है ।इसका उपयोग करके किसी एक  व्यक्ति का जीवन सुधार सकते है ।आज "फ्रूट केक डे " पर हम पर एक दिन का भोजन नही करेंगे सिर्फ फल-फ्रूट ओर केक का सेवन करेंगे और इस कार्य मे लगे हुऐ छोटे- छोटे व्यपारियो की मदद करेंगे ।     आज का समय,दिन और वर्तमान ही आपके पास है ,थोड़ी देर बाद अथवा आने वाला समय मे क्या होने वाला है किसी को भी पता नही है। आज का समय और अभी ही आपके पास है,उस कार्य मे शुरू हो जाये । बाद के लिए कुछ भी ना छोड़े । बाद अथवा कल कभी नही आने वाला है ।और आएगा तो नये रूप मे नई बातों को लेकर आऐगा  समय को पकड़ने की कोशिश करते रहे ,सफलता पर सफलता अवश्य

आज सत्यवादी दिवस के साथ कैंडी दिवस डे पर ........

आज 26-12-2021 को विश्व कैंडी दिवस और सत्यवादी दिवस पर गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन आमलोगों को संदेश के माध्यम से-- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का बड़ा ऐलान-15 से 18 साल के बच्चों को 3 जनवरी 2022 से लगेगी वैक्सीन, इसी के साथ बुजुर्गों को भी तीसरा डोज़ लगवाने का । देश मे अभी तक 437 ओमिक्राँन के केस मिले है । ओमिक्राँन अलर्ट के.अतर्गत सभी आवश्यक सेवा मे तत्पर सरकार । म०प्र०  सरकार कमिश्नर प्रणाली के अंतर्गत पदस्थापना मे जातिगत प्रणाली का उपयोग करते नजर आ रही है ।  ये विचार लेखक, आलोचक श्रीरामधुन के है । अतः आप पढ़ने वालो देश कै कर्णधारों से अनुरोध है कि मुझे मार्गदर्शन प्रदान करे ।         गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

आज " विश्व क्रिसमस डे "

गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन संपादक, संस्थापक,अध्यक्ष, लेखक काउंसर ,आलोचक,ज्यौतिर्विद की ओर से सभी देशवासियों को,विश्व के समस्त ईसाई समुदाय के लोगो के साथ साथ सभी वर्गों के लोगो को प्रभु यीशु मसीह के जन्म दिवस पर हार्दिक बधाई देते हुए उनके द्वारा प्राप्त सहयोग  के लिऐ धन्यवाद। क्रिसमस का त्योहार शांति-भाईचारे का प्रतीक है आज पूरे विश्व भर के गिरजाघरों को रंगीन रोशनी से शुक्रवार की रात को प्रभु यीशु का जनमोत्स्व धूमधाम से मनाया गया । लोगों ने एक दूसरे "मेरी क्रिसमस"कहकर बधाई दी । कोरोनाकाल के चलते लाँकडाउन का पालन करते हुए निर्धारित समय से पूर्व आयोजन सम्पन्न हुआ । सभी गिरजाघरों मे चरनी (गोशाला) और क्रिसमस ट्री बनाकर रात भर विशेष प्राथना की और प्रभु यीशु मसीह का संदेश प्रसारित किया।प्रवचन हुए मिठाई, चाकलेट, टाँपी बाटी जाने वाली परम्पराओं का पालन करते हुए किया। आज सुबह 9. बजे से 12.तक कार्यक्रम होगे । सबसे बड़ी बात यहाँ यह है कि कोरोनाकाल मे इन समुदाय के लोगो ने बड़ा योगदान दिया और आज भी दे रहे है ये ही है भारत के सच्चे नागरिक ,नमन् के साथ आपका सभी का शुभचिंतक ।मेरी क्रिसमस। गुरुजीस

लोकतंत्र मे अखबार की मौत .........

 टूस्ट मां आदिशक्ति दरबार धार्मिक एवं परमार्थ  टूस्ट भोपाल के तत्वाधान में वर्ष 2012 व 2014 से समाचार पत्र साप्ताहिक व मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है । ट्रस्ट गांधी मोदी विचार ट्रस्ट  है । जो सामाजिक एवं धार्मिक निशुल्क सेवाओं के अंतर्गत वर्ष 2607 से लगातार कार्यरत हैं  । ट्रस्ट को  12 A और 80G  आयकर अधिनियम 1961 के अंतर्गत पंजीकृत भी है ।      ट्रस्ट द्वारा मासिक पत्रिका "आज का सत्यवादी " आर एन आई नंबर MPHIN/2012/49082  तथा साप्ताहिक समाचार पत्र "आर्यवंश "आर एम आई नंबर  MPHN/2014 /67628   का प्रकाशन लगातार किया जा रहा है ।      समाचार पत्र पत्रिका के विज्ञापन से प्राप्त धनराशि ट्रस्ट के जनहित कार्य एवं में निशुल्क सेवाओं में खर्च किए जाते हैं जिसका लेखा जोखा ट्रस्ट के पास है  ।      किंतु दो-तीन वर्षों से नियमित विज्ञापन न मिलने के कारण ट्रस्ट को काफी क्षति पहुंची है । समाचार पत्र की अधिमान्यता हेतु कई बार आवेदन पत्र दिए गए किंतु जनसंपर्क संचनालय में घोर अनियमितता और व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण विज्ञापन नियमित रूप से नहीं मिल रहा है ना ही  अधिमान्यता ही मिल

राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर.....

     आज दिनांक 24 दिसंबर को राष्ट्रीय दिवस के रूप मे सारा विश्व के साथ साथ भारत देश मे मनाया जाता है ।  साथ ही साथ आमजनो को विशेष रियायतें देने की घोषणाएं करते हैं । जब उनका व्यवसाय गति पकड़ता है तो उसके दाम बढ़ा देते है ।अभी हाल मे ही जिओ मोबाइल कम्पनी द्वारा ऐसा किया गया है ।     अच्छे उपभोक्ताओं की कमी सभी देशों मे पाई जा रही है । ये लोग प्राकृतिक आपदाओं, महाबिमारी  से डरते नही है बल्कि उनसें जूझकर अपना व्यवसाय करने पर अपनी जान लगाते पाऐ गए है । आज कोरोनाकाल की तीसरी लहर व ओमेक्रान की शुरुआत पूरे विश्व हो चुकी है । जगह जगह लाँकडाउन, कर्फ्यू लगाने की तैयारी की जा रही । देश के 17 राज्यों मे 325 ओमेक्रान मरीज हो चुके है।     गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन.

ओमिक्राँन विश्व महामारी

वर्तमान समय में सारा विश्व महामारी के सबसे बुरे दौर की तरफ फिर से तेजी से बढ़ रहा है । अपने सभी आवश्यक कार्य कर ले जो आसानी से किऐ जा सकते हो सभी प्लान केसिल कर दे मे समझदारी है ।भारत मे कोरोना के बाद अब ओमिक्राँन ने 15 राज्यो मे 248 संक्रमित प्रकरण दर्ज हुऐ है । देश मे अभी तक 138.96 करोड़ टीके लगने की बात सामने आई है । कोरोना के 6 हजार नये  मामले आऐ है । महाराष्ट्र और दिल्ली मे तेजी  से सक्रमण बढं रहे है । देश मे एक-दो जगह लाँकडाउन लग चुका अथवा तैयारी शुरू हो गई है । म०प्र० मे आज रात्री 11.00 से सुबह 5.00 तक का रात्रीकालीन कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई है । विदेशों मे कुछ जगहो पर लाँकडाउन लगाया जा चुका हे । सावधानी बरतै,गाइडलाइन का पालन, अनावश्यक भीड़भाड़ ना लगाऐ ना होने दे । अपनी सुरक्षा स्वयं करे ,सरकार आपके साथ है ।  गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन

आंतकवाद का कोई दोस्त नही ............

     हर आदमी की कामयाबी के पीछे उसकी मेहनत होती है। मेहनत कहाँ से आती है ? मेहनत उसके अच्छे कर्मो से आती है । अच्छे कर्म क्या होते है ? ये अच्छे कर्म उन्हे विरासत मे मिलते है  जो उसे अपने माँ-बाप से,गुरू ,शिक्षा और सतसंगति से  सम्मान मिलता  है । अब सम्मान क्या होता है ? सम्मान की सीमा, सम्मान  कैसे किया जाता है ? आदि आदि बातो का भी ज्ञान होना अति आवश्यक है ।      इस संघर्ष मय जीवन में जीवन मे सम्मान शब्द का महत्व धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है कोई भी किसी का  सम्मान नही कर रहा है जिसके कारण व्यक्ति ओर भी अधिक परेशान हो रहा है । अतः ऐसी स्थिति में अच्छे कर्मों और बुजुर्गों की कही बातों पर विशेष ध्यान देते हुऐ नियमो का पालन करते हुए कार्य करेगा तो उसे लाभ जरूर मिलेगा । इंसान बड़ा हो या छोटा,आदमी हो या औरत,गरीब हो या अमीर,लड़का-लड़की,भाई-बहन,गुरू-चेला,माता-पिता, भगवान हो या शैतान सभी का यथायोग्य  सम्मान करो तभी आपको सम्मान का अधिकार प्राप्त होगा । अब यहा पर अधिकार के बारे मे भी बतलाना पड़ेगा । यह  एक मोलिक अथिकार है जो जन्म लेते ही माँ बाप से शुरू हो जाता है जिसमें समाज, देश का कानून, शिक्षा

धार्मिक भावनाओं से मुक्ति की ओर ......

     धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत व्यक्ति अपने आप को एक सीमित दायरे मे रखकर पालन करने में कोई कसर नही छोड़ रहा है। इसी के साथ साथ अपनी स्वच्छ, निर्मल व्यक्तित्व का निर्माण करने मे,धर्म का पालन  करने मे पूरा जीवन व्यतीत कर देता है तब वह सत्यवादी कहलाता है । लोभ,लालच, मोह माया ,ममता का त्याग करना प्रथम सीढ़ी है । उसके बाद खान  पान का भी ध्यान रखा जाता है । उतना ही भोजन लेना है जितना आपका शरीर के संचालन चल सके ।      वर्तमान समय में सरकार धार्मिक भावनाओं से जुड़े लोगो पर गाईडलाईन लागू करने के बारे मे सोच रही है ।वजय कुछ भी हो सकती है। धार्मिक स्थलों मे प्राप्त धनराशि और आभूषण जो दानस्वरूप प्राप्त हो रहा है, उस पर अंकुश लगाकर नानाप्रकार की योजनाओं मे परिवर्तन कर रही है । अब वह दिन दूर नही है जब सरकार इस पर कानून बनाकर अर्जित धन सम्पत्ति पर एक समयसीमा निर्धारण नीति कै अंतर्गत अध्यादेश बनाकर अचानक नोट बंदी जैसे ,लागू कर सकती है ।    धर्म के नाम से राजनीति चल रही है । धर्म मे राजनीति करण वोट प्राप्त करने के लिए जरुरी हो गया है । धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा देना बंद करना पड़ेगा ।    इतिहास गवाह है कि

आखिरकार घोटालों का अंत कब ?

     हमारे देश मे घोटाला करने वालो की कोई कमी नही है । इन घोटालों मे अनेकों की मिलीभगत भी होती है जिसमें सरकारी अधिकारी व नेताओं की भूमिका पाई जाती है। एकल प्रणाली के अंतर्गत व्यक्ति अथवा उसकी कम्पनी  पकड़ी जाती है तो ऐसे लोग देश छोड़कर भाग जाते है.। किसी को सजा होती है तो कोई  साक्ष्य के अभाव में बच जाता है ।       घोटालाबाजो  की सहायता करनेवाले पर कोई कार्यवाही नही होती है जबकि ये सबसे ज्यादा जिम्मेदारी निभाते है। घोटालों के क ई प्रकरण अदालतों मे चल रहे है । दिनोंदिन प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही है ।निर्णय मे देरी होने के कारण कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है  जिसके कारण अपराधी को सजा नही मिल पाती उनके होंसले बढ़ जाते है ।      अतः इन घोटालाबाजो को सजा तो मिले साथ ही इनसे भरपाई हेतु इनकी सम्पाति इनके रिस्तदारो से वसूल किया जावे । सबसे बड़ी बात यह है कि ये घोटाला करने वाले लोग ज्यादातर अधिकारी, नेता और बड़े-बड़े सेलेब्रिटीज़ है जिन्होंने बचने के लिए एन जी ओ ,टूस्ट, समितियों का पंजीयन करा रखा है और आम-जनता के साथ साथ सरकार को दोनो हाथों से लूट रहे है । माननीय न्यायालय को इस बात का इल्म है

कामयाबी का राज.....

हर आदमी की कामयाबी के पीछे उसकी मेहनत होती है। मेहनत कहाँ से आती है ? मेहनत उसके अच्छे कर्मो से आती है । अच्छे कर्म क्या होते है ? ये अच्छे कर्म उन्हे विरासत मे मिलते है  जो उसे अपने माँ-बाप से,गुरू ,शिक्षा और सतसंगति से  सम्मान मिलता  है । अब सम्मान क्या होता है ? सम्मान की सीमा, सम्मान  कैसे किया जाता है ? आदि आदि बातो का भी ज्ञान होना अति आवश्यक है ।      इस संघर्ष मय जीवन में जीवन मे सम्मान शब्द का महत्व धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा है कोई भी किसी का  सम्मान नही कर रहा है जिसके कारण व्यक्ति ओर भी अधिक परेशान हो रहा है । अतः ऐसी स्थिति में अच्छे कर्मों और बुजुर्गों की कही बातों पर विशेष ध्यान देते हुऐ नियमो का पालन करते हुए कार्य करेगा तो उसे लाभ जरूर मिलेगा । इंसान बड़ा हो या छोटा,आदमी हो या औरत,गरीब हो या अमीर,लड़का-लड़की,भाई-बहन,गुरू-चेला,माता-पिता, भगवान हो या शैतान सभी का यथायोग्य  सम्मान करो तभी आपको सम्मान का अधिकार प्राप्त होगा । अब यहा पर अधिकार के बारे मे भी बतलाना पड़ेगा । यह  एक मोलिक अथिकार है जो जन्म लेते ही माँ बाप से शुरू हो जाता है जिसमें समाज, देश का कानून, शिक्षा शामि

लेने की अपेक्षा देना श्रेष्ठ है

इस संसार में लेने की अपेक्षा देना श्रेष्ठ है लेन-देन की प्रथा शुरू से कायम रही है । प्रकृति शुरू से ही हमे हमेशा देते रहती है।वह हमसे कोई अपेक्षा नही रखती  है और जीवन भर कुछ ना कुछ देते ही  रहती है ।इसी वजय से वह अपनी जगह कायम और चिरस्थायी है । यहाँ सबसे बड़ी बात यह है कि देने मे जो आनंद मिलता है उसकी कोई सीमा नही है । इसी वजय से प्रकृति को पृथ्वी माता के रुप स्वीकार किया जाता है और उसकी पूजा भी की जाती है । क्योंकि वह देती ही है,लेती नही है,माँगती  भी कुछ नही है इसी वजय से श्रेय कर है । अब ऐसे मे इंसान का भी उत्तरदायित्व है कि  इसके बदले में अच्छे कर्म करे और लोगो की भलाई करे ।  इस भलाई को प्रकृति की देन समझकर उस अदृश्य शक्ति जिसे हम ईश्वर मानते है, पर अटूट विश्वास व अभार  प्रकट करे।      एक सयय की बात है । गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन अपने शिष्यो के साथ नर्मदा नदी की पंचकोसी यात्रा करने निकलते है । यह यात्रा पैदल की जाती है । रास्ते मे  क ई खेत मिले । हर खेतो मे किसान काम करते हुए मिले । सभी लोग ईश्वर का स्मरण करते हुऐ नर्मदा माई की जयजयकार करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे और जहाँ रात्री हो ज

अजीब इत्तेफाक

बात उन दिनों की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था ।उस समय परीक्षा देने में देरी हो रही थी ,मैंने झूठ का सहारा लेकर परीक्षा तो दे दिया किंतु रिजल्ट फैल का आया ।      बात यूं हुई थी कि मैं जिस रिक्शे पर बैठकर कॉलेज परीक्षा देने गया था ,रिक्शेवाले की परवाह न करते हुए तेजी से उतर कर भागा सामने कॉलेज का गेट बंद कर रहे चौकीदार को रोककर अंदर दाखिल हुआ । रिक्शा वाले को इशारा कर , कालेज के मेन गेट के अंदर से इसारे से  बतलाया कि पैसे बाद में ले लेना । जबकि सच तो यह था कि उस समय मेरे पास कोई पैसे नहीं थे। बाद में कई दिनों तक उस रिक्शेवाले को ढूंढा भी किंतु वह नहीं मिला । पैसे ना उस समय थे और ढूंढते  समय थे । बाद में कई दिनों तक उस रिश्ते वाले को ढूंढा फिर भी वह नहीं मिला, शायद इसी वजह से वह मिल भी नहीं पा रहा था । मैं उस कालेज के सामने से जब भी गुजरता हूं मुझे यह किस्सा जयाद आ जाता है । मेरा यह कर्ज कभी ना उतारने वाला बनकर रह गया और एक गरीब मेहनतकश इंसान का ऋणी बन गया,अथवा नहीं ? क्योंकि जब जब उसके बारे में पैसे देने के बारे में सोचता हूं तब तब मेरे पास अपनी जेब में एक रूपये भी नहीं होते है  ।इस पहेली

पिता-पुत्र मे दरार नही, तकरार होती है

     पिता और पुत्र के बारे मे वर्षों बरस  से लिखा से लिखा जा रहा है कि इनके रिस्ते अटूट आस्था पर आधारित है । इनके बीच हमेशा आपस मे तनाव की स्थिति बनते बिगड़ती रहती है।      इतिहास पढ़ने से पता चलता है कि राजा-माहराजा,नबाबो के शासन काल मे यह प्रचलित था कि सत्ता हथियाने के लिए पुत्र ने पिता का बध्द कर राज्य प्राप्त कर शासन किया है।     पिता-पुत्र का संबंध खून से होता है पुत्र जन्म लेकर पिता के साथ ज्यादा समय व्यतीत करता हुआ बड़ा और समझदार बनता है। कभी वह उंगली पकड़कर चलना सीखता है तो कभी घोड़े की सवारी बना कर पीठ पर बिठाता है । उन दोनो पिता-पुत्र को ऐसा करना बड़ा अच्छा लगता है । दोनो के रिस्ते मे कुछ स्वार्थ भी छिपा  होता है जो दिखाई नहीं देता है ।     पिता अपने पुत्र से सदैव सम्मान चाहता है किंतु पुत्र भी यही चाहता है किंतु उसके प्रस्तुतीकरण का ढ़ंग अलग होता है। पहले पहल जब बच्चा छोटा होता है तो बाप के नाम से जाना जाता है और जब वही बच्चा जब बड़ा हो जाता है तो बच्चे के नाम से बाप जाना जाता है । ठीक इसी प्रकार की सोच भी होती है । बाप पुराने तौर तरीका अपनाता है तो बच्चा नये युग का तोर तरीका अपनाता

भ्रष्टाचारीयों पर हो कार्यवाही, सख्त कानून की दरकरार !

     समूचे देश मे व्याप्त भ्रष्टाचार और घोसखोरी की बाढ़ आ गई है जो प्राकृतिक आपदाओं से कम नही है । भ्रष्टाचार पहले इतना नही था किंतु अब तो थमने का नाम नही ले रहा है । भ्रष्टाचार के बीज लगाऐ किसने ? इसे हवा, पानी और खाद् आखिर किसने दिया ? अब यह बहुत बड़ा पेड़ बन गया है जिसकी जड़े काफी नीचे तक पहुंच चुकी है । इन जड़ो को खोदकर निकालना नामुमकिन है, ऐसा नही है कोशिश करने वाले लोगो एकता की कमी है । एकता ना होने के कारण इनके होसले बुलन्दियों को छू रहे है। राजस्वकर्मियों ने तो सभी हदे पार कर दी । एक चपरासी, पटवारी, आर०आई०,तहसीलदार की अर्जित संपत्ति की लेखा-जोखा इस बात की पुष्टी कर सभी विभागों की पोल की ओर इसारा करती है । इसकी पहल करेगा कौन ? सभी भ्रष्ट है !     किंतु ऐसा नही है कार्यवाही की प्रक्रिया अब चालू हो गई है।अब तो माननीय अदालत का समर्थन भी मिल रहा है । आमजनो के समर्थन से कुछ आगे भी आ रहे है उन्होंने ने सरकार के अनेको विभाग जैसे नगर निगम प्रशासन, बी डी ए संस्कृति विभाग, जनसंपर्क विभाग, राजस्व विभाग, सामाजिक न्याय/निशक्तजन विभागो के साथ साथ श्रीमान कलेक्टर भोपाल के विरुध्द कारवाई भी शुरू कर

लेने की अपेक्षा देना श्रेष्ठ है

इस संसार में लेन-देन की प्रथा शुरू से कायम रही है । प्रकृति शुरू से ही हमे हमेशा देते रहती है।वह हमसे कोई अपेक्षा नही रखती  है और जीवन भर कुछ ना कुछ देते ही  रहती है । इसी वजह से वह अपनी जगह पे चिरस्थाई है। यहाँ सबसे बड़ी बात यह है कि देने मे जो आनंद मिलता है उसकी कोई सीमा नही है । इसी वजय से प्रकृति को पृथ्वी माता के रुप स्वीकार किया जाता है और उसकी पूजा भी की जाती है । क्योंकि वह देती ही है,लेती नही है,माँगती  भी कुछ नही है इसी वजय से श्रेय कर है । अब ऐसे मे इंसान का भी उत्तरदायित्व है कि  इसके बदले में अच्छे कर्म करे और लोगो की भलाई करे ।  इस भलाई को प्रकृति की देन समझकर उस अदृश्य शक्ति जिसे हम ईश्वर मानते है, पर अटूट विश्वास व अभार  प्रकट करे।      एक सयय की बात है । गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन अपने शिष्यो के साथ नर्मदा नदी की पंचकोसी यात्रा करने निकलते है । यह यात्रा पैदल की जाती है । रास्ते मे  क ई खेत मिले । हर खेतो मे किसान काम करते हुए मिले । सभी लोग ईश्वर का स्मरण करते हुऐ नर्मदा माई की जयजयकार करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे और जहाँ रात्री हो जाती तो वे लोग रात्री विश्राम कर दूसरे

झूठा वादा,बना जान का दुश्मन .......

 एक समय की बात है जब पूरा शहर शीतलहर से ग्रसित था । हर साल तो पड़ती ही है किंतू मोसम विभाग की घोषणा के बाद तो और भी ज्यादा लोगों को मनोवैज्ञानिक असर हो ही जाता है । ऐसी ठंड मे सेलेब्रिटीज़  अपना जन्मदिन पर अथवा अपने बुजुर्गो की याद  मे गरीबों को ,भिखारियों को, अनाथालय मे इस ठंड से बचने के लिए कंबल, ऊनी वस्त्र बांटने का कार्य करते है । चुनाव के समय नेताओं द्वारा भी ऐसा कृत्य किया जाता है, सर्वविदित है ।      एक बार की बात है । एक राजनेता ने अपनी कोठी मे प्रवेश करते समय एक दरबान को देखा जो साधारण फटे पुराने लिबास मे बिना गर्म कपड़े पहना देखा तो उन्होंने दरबान को पास बुलाकर पूछा- "क्या तुम्हें ठंड नही लगती" !  दरबान ने कहा-"ठंड तो लगती है, किंतु क्या कर सकता हूं । राजनेता,धार्मिक प्रवृति के अचछे इसान थे । उन्हे उस गरीब का दुख समझते हुए  कहा कि आज वास्तव ठंड बहुत है अत:मै अंदर जाकर गर्म कपडे भिजवाता हूँ । अंदर जाकर नेताजी अपने काम मे व्यस्त  हो गए ,और कपड़े भिजवाना भूल गए ।     दरवान बार बार कोठी के अंदर झांक झाक कर रहा,कोई नहीं आया । उस दिन ठंड भी अधिक थी अथवा इंतज़ार की घड़ी मे

हिस्सा-बटवारा.......

जिस मकान मे हमारा बचपन गुजरा हो, जिस जमीन पर रहकर हमने नानाप्रकार के खेल खेले हो । क्या उसका कौन सा पाने का  सुख ,अथवा बेचने का सुख मिल सकता है ? जबकि इसके हम हकदार ही नहीं है । जिसने इसे वनाया है,कैसे बनाया है, क्या सोचकर बनाया है, हमे कुछ नही पता । फिर हम उसके हिस्से को अपना हिस्सा कैसे कह सकते है ?       जिसके पास रहने की छत ना हो,जिसकी पूरी जिंदगी किराए के मकान में कटी है अर्थात जिसके पास कुछ भी नहीं हो, उसे हिस्सा मिलता है तो इससे बड़ी बात कुछ हो ही नही सकती है ।किंतु जिसके पास सब कुछ है और धनाढ्य भी उसे हिस्से-बटवारे की बात करना सरासर बेमानी की बात लगती है । आज समय बदल गया हिस्से-बँटवारे को लेकर आऐ दिनो ज झगड़े, खून खराबे की खबरे रोज  पढ़ने और सुनने को मिलती रहती है । यह लोभ लालच,मोह -माया , हिस्सा-बंटवारा यही रह जाएगा ,लेकर क्या आऐ थे और लेकर क्या जाओगे । सब यही रह जाऐगा, साथ जाएगा शोक-संताप, बुराई । मरने के बाद भी अमन चैन नही मिलेगा और जीते जी भी नही मिला । ऐसे हिस्से-बंटवारे से क्या लाभ। लेने मे नही,देने की बात का आनंद कुछ ओर होता है जो हर किसी को नही मिलता है । इसी की तलाश मे सा

बच्चों को कहानियां सुनना पंसद क्यों?

 किसी भी चीज का इतिहास जानने के लिए, संस्कृति को जानने के लिए ,पीढ़ियों तक पहुंचने के लिए कहानी कथाएं, बोध कथाओ का माध्यम सशक्त है कहानियां सुनने से बच्चों में गुण विकसित होते हैं जो उसके भविष्य के लिए बहुत उपयोगी हैं । बच्चे हो या बूढ़े हो कहानियां ऐसी चीज है जो हर किसी का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लेती हैं ।      कहानियों में इतनी ताकत होती है कि वह बच्चे हो या बूढ़े हैं जो उन्हें दूसरी दुनिया में ले जाते हैं।      आज का युग  डिजिटल युग है । बच्चे आजकल दादी ,नानी की कहानियों पर ध्यान नहीं देते हैं और मोबाइल ,लैपटॉप ,गूगल की कहानियों को देखते हैं और सुनना ज्यादा पसंद करते हैं ।      ऐसे समय में यदि हम  सकारात्मक सोच के साथ यदि बच्चों को शिक्षाप्रद कहानियां सुना सकते हैं ,ऐसा प्रयास हम बार-बार करते हैं और सफल होते हैं तो यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी ।कई बच्चे ऐसे होते हैं जो ठीक से समझ नहीं पाते हैं तो ऐसे बच्चों के लिए कहानी के माध्यम से समझाते हैं तो वे अवश्य समझ जाएंगे ।      कहानी सुनाते समय बच्चे कहानी की दुनिया में खोकर उसके पात्रों और घटनाओं की काल्पनिक दुनिया में खो जाते

माँ का दुलार

 वर्ष 1975-76  की बात है जब दूरस्थ गांव में आवागमन के साधन बहुत कम थे ।उस समय गांव बीहड़ गांवो में नौकरी करने से आम लोग घबराते थे । गांवो में साँप-बिच्छू तो पाए ही जाते थे साथ ही साथ जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता था । शाम होने के बाद कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था ।कई कई गांव में बिजली पानी और सड़क की भी व्यवस्था नहीं थी ।      गांव गांव में सरकारी स्कूल और अस्पताल खोलने के आदेश सरकार राज्य सरकार द्वारा दिए गए थे । कम पढ़े लिखे स्थानीय लोगों को प्र प्रशिक्षण देकर बीहड़ स्थानों में नौकरी के आदेश प्रसारित कर नियुक्ति दे दी  थी ।     छत्तीसगढ़ पूर्व म०प्र० के एक बिहड़ गाँव मे एक शिक्षिका  की नियुक्ति हुई  थी जहां पर से उ०प्र० की सीमा लगी हुई थी। उ०प्र०के सजायाफ्ता लोग यहाँ आकर बस गए थे और वहां को डरा धमकाकर अपना साम्रज्य स्थापित कर सभी प्रकार से शोषण कर रहे थे  ।     शिक्षिका  प्राईमरी स्कूल  मे शिक्षिका के पद पद पर कार्यरत थी ।  बड़ी सीदी सादी ,कम उम्र की थी और गाँव की लड़की थी ।वही  पर एक सरकारी कर्मचारी सै मुलाकात हो जाती है जो अधेड़ उम्र का  आवारा किस्म का शराबी व्यक्ति था जो बातों मे

"कोपभवन" खुल कर रोये

     आज कल तो लोग मकान, कोठी, बड़े बड़े मकान बनवा लेते है किंतु कुछ ना कमी रह ही जाती है जिनके बारे मे वे सोंच ही नहीं पाते है । चूंकि उनके बारे मे कोई वास्तुकार अथवा ज्योतिष जानकार भी नही पाते है ।सब लोग अपनी अपनी राय मशवरा देते है । बेडरूम, बाँथरूम,किचन ,बैठक छं रूम, स्टेडी रूम व  पूजाघर कैसा होना चाहिये, दिशा कौनसी होना चाहिये आदि आदि  तो  बतला देते है । सर्वसुविधायुक्त मकान बनवाने के बाद भी इंसान को सुख चेन नही मिलता है तब वह अपना दुखड़ा किसे बताऐ ,कहाँ जाकर अपना मन हल्का करे ?     रामचरित मानष मे लिखा है कि अयोध्यानगरी मे भगवान श्रीराम के राज्यभिषेक की तैयारियां चल रही है । पूरी नगरी को दुल्हन की तरह सजाया गया था । जगह जगह मंगल गीत गाऐ जा रहे थे ।    राजा दशरथ बहुत खुश हो रहे थे कि कल उनके बड़े पुत्र का राज्याभिषेक होने वाला है ।वे बारी से अपनी रानियों से मिलकर खुशी का इजहार कर रहे थे । दशरथ जी कैकेयी के महल जाते है तो उन्हे पता चलता है कि रानी तो अपने महल मे ना होकर "कोपभवन " मे है । इसके बाद के घटनाक्रम से सभी वाकिफ है ।     उस समय  के राजा महाराजा अपने महल के अलावा कोपभवन

सत्संग से मिली प्रेरणा

भोपाल म०प्र०की राजधानी के टीलाजमालपुरा क्षेत्र में एक पंडित रहते थे। वे सदैव खुश रहते थे और  लोगो को खुश रखते थे। सभी से प्रेम का व्यवहार रखते थे । लोगो को उचित सलाह देते थे । कौन उन्हे गुस्सा भी बहुत आता था । गुस्सा इस बात का आता था कि जब कोई व्यक्ति जानबूझकर छल कपट धोखा और झूठ की राह अपनाता  था ।ऐसे व्यक्ति को बार-बार उचित सलाह कब  तक दी जाए ,तभी उन्हें गुस्सा आता था । फिर भी लोग के पास आते थे सत्संग में हिस्सा लेते थे ।दिनों दिन संत की ख्याति अत्यधिक फैल गई । संत सदैव दूसरों की भलाई मैं अपनी भलाई ढूंथढते थे । लोकप्रिय होने के कारण उनके अनेक दुश्मन भी बन गए थे ।                                                                  एक दिन दुश्मनों ने उन्हें रास्ते से हटाने के लिए योजना बनाई योजना बनाने वाले लोग सभी संत के पास आया करते थे और उनके पास सत्संग भी किया करते थे । सत्संग करने के बाद भी नफरत करते थे । नफरत का मुख्य कारण संत का सच बोलना और उस  सच को सबके सामने उजागर करना । इस वजह से षड्यंत्रकारियो ने उन्हें मारने की योजना बनाई और उसे अंजाम देने हेतु एक व्यक्ति को कार्य सौंपा ।वह  व

मौत के सामने मौत

  बहुत समय पहले की यह सत्य घटना है। आदिवासी बाहुल इलाके में धटित धटना है । ग्राम जुन्नारदेव जिला छिंदवाड़ा  एक गाँव, जहाँ पर आदिवासी समुदाय के लोग रहते है। यहां पर उस समय शिक्षा और आवागमन  का अभाव था। इस गांव में एक आदिवासी परिवार रामू और उसकी पत्नी शांति रहते थे उनके दो लड़के और एक लड़की थी लड़की का नाम शगुन था जिसकी शादी पास ही के गांव में हुई थी ।      कुछ दिनों बाद बड़े बेटे और छोटे बेटे टीवी शादी हो गई दोनों बहुओं के साथ घर पर रहने लगे दोनों बहुओं की आपस में नहीं बनती थी आता अलग अलग रहने लगे खेत और  मकान का हिस्सा बंटवारा हो गया। दोनों भाई का धरमू और करमू था।      समय कभी रुकता नहीं है। दुख सुख आते जाते रहते हैं । एक दिन धरमू  खेत गया हुआ था खेत में काम करते समय किसी जहरीले जंतु ने उसके पैर में काट दिया ।दूसरे दिन उसका जहर पूरे शरीर में फैल गया । पूरे शरीर में सूजन आ गई  सूजन भी इस तरह से आई  कि उसका शरीर डरावना और विभत्स हो गया कि मोहल्ले पड़ोस वाले लोग उसको देखकर डरने लगे । बीमारी का बहुत इलाज करवाया गया किंतु  बिल्कुल भी ठीक नहीं हुआ और एक जिंदा चलती फिरती रलाश के समान हो गाया घ

हिम-देव

 एक गांव में एक बूढ़ा और एक बुढ़िया रहते थे उनके एक लड़की और एक लड़की थी अर्थात एक एक लड़की दोनों की थी ।   हर कोई जानता है कि सोतेली माताएं कैसी होती है ।चाहे तुम काम करो या संवारो,पढ़ाई करो या ना करो अच्छा काम करो या बिगाड़ करो मार तो खानी ही पड़ेगी अपनी बेटी चाहे जैसी भी हो जो भी करें उसे उसकी सराहना की जाती है उसे हमेशा शाबाशी दी जाती है।   बूढ़े की बेटी रोज सुबह सुबह उठती है पूरे घर की साफ सफाई के साथ-साथ घर के बर्तन झाड़ू पोछा ,पानी भरना ,जलाने के लिए लकड़ी काट कर लाना आदि आदि कार्य करती थी ।किंतु सौतेली मां उसमे भी गलती निकाल कर डांटते रहती थी।    जोरो से चलने वाली हवा तो शांत हो जाती है किंतु बुढ़िया एक बार चालू हो जाए तो रुकने का नाम नहीं लेती ।सौतेली बेटी से उसने छुटकारा पाने के लिए एक दिन बुढ़िया ने निश्चय किया और उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त किया -   "बूढ़े, इसे यहाँ से ले जाओ,उसने अपने पति से कहा!इसे जंगल में छोड़ आओ,मै इससे बहुत तंग आ गई हूं।"    बूढा बहुत दुखी हुआ,मगर कुछ नही कर सकता था अतः लड़की को घोड़े पर बिठाकर जंगल मे छोड़ आया। जंगल में अच्छा सा स्थान देखकर, ज

काला धन पर राजनीति प्रहार

 राजनीति विचारधारा और परिवारवाद दोनों अलग-अलग बातें हैं इसे कभी भी जोड़ना नहीं चाहिए ।जो भी इसका लाभ उठाता है वह भ्रष्टाचार की श्रेणी में अपने आप आ जाता है ।किसी भी व्यक्ति पर आरोप लगाना अच्छी बात नहीं है ।आरोप लगाने से पूर्व अपने आप को देखते हुए अच्छाई बुराई की तुलनात्मक कार्रवाई से गुजरना अति आवश्यक है ।सबसे बड़ी बात तो यह है कि आरोपों को सिद्ध करना होता है ।सर्वप्रथम यह देखा जाता है कि आरोप एक व्यक्ति के ऊपर लगाया जा रहा है ,क्या आरोप राजनीति से प्रेरित होकर किया गया है? अथवा राजनीति का प्रयोग तो नहीं किया जा रहा है ।ठाकुर वाद और ब्राह्मणवाद देश की आजादी के पूर्व से चल रहा है, और अभी भी शहरों को छोड़कर, गांव गांव में पसरा हुआ है ।इस जातिवाद में जो भी मतभेद हैं ,जो कानूनी कार्रवाई पर सवाल उठाता है ?और चढ़ाता है ?कानूनी कार्रवाई तो होती है और सजा भी होती है छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध वरिष्ठ वयोवृद्ध वरिष्ठ नागरिक श्री नंदलाल कुमार बघेल पर आरोप-प्रत्यारोप एक संपूर्ण समाज ने किया है जो कि अपने आपको ब्राह्मण समाज बतलाता है ।यह आरोप भी सत्य है कि नहीं क्योंकि सोशल मीडिया पर किया गया बयान पर

एक बूढ़ी नैत्रहीन महिला

भारत में रहने वाले लोगों को अभी भी विश्वास है कि आगामी वर्ष में विदेशों में जमा काला धन वापस आएगा ,इसी काले धन पर भारत के साथ-साथ उनकी आर्थिक दशा में भी सुधार आएगा ।काले धन पर माननीय नरेंद्र मोदी आज सत्ता चला रहे हैं ।आज भारत की जनता इस काले धन पर 1500000 रुपए मिलने की  आशा लगाए बैठे हैं ।आज मोदी सरकार सत्ता में आए वर्षों व्यतीत हो गए हैं बीच-बीच में कभी-कभी काले धन पर हो रही कार्रवाई के बारे में खबरें प्रकाशित होती हैं ।जिससे लोगों में फिर से एक आस बंंद जाती है। आम जनता की यह आस  श्री नरेंद्र मोदी के कुछ भाषण को देश में इतना काला धन आने के प्रति प्रत्येक व्यक्ति के हिस्से में 1500000 रुपए आएंगे पर बल मिलता है स्विजरलैंड के बैंकों में भारतीयों की खातिरदारी खाते खाताधारकों की तीसरी सूची सितंबर 2021 को मिलने की खबर भी प्रकाशित हुई थी ।यही तो कारण है जो मोदी सरकार चलने की वजह है ।इस संबंध में विदेशी सरकारों के बीच एक समझौता भी हुआ है जो इस बैंक ने भारतीय नागरिकों के कालेधन की सूची 2019 व 2020 में भेज दी थी फिर भी तीसरी सूची का इंतजार  बतला रही है । भारतीय सरकार आखिर क्या छिपा रही है।.केंद

"शिक्षा के क्षेत्र मे फर्जीवाड़ा अब बरदाश्त नही"

भारत मे शिक्षा स्तर दिनोंदिन बढ़ते जा रहा है।विदेशी ताकतों के साथ साथ देश में छुपे गद्दर इस बात को हझम नही पा रहे है।और नानाप्रकार की गतिविधियों को अंजाम दे रहे है । ये लोग सरकारी अफसर और नेता हे जिन्होंने शिक्षा विभाग को भी नही छोड़ा है। भारत देश बहारी ताकतों से लड़ सकता है किन्तु देश के भीतर छुपे जयचंदो कैसे लड़े?  देश में शिक्षा के क्षेत्रो मे फर्जीवाड़ा अपनी चरमसीमा लाँग चुका है।आज बच्चों को पढ़ना-लिखाना दूभर हो गया है। शिक्षा का व्यवसाय चल रहा है। ये व्यवसाय करनेवाले नेता और सरकारी अफसर है, इन पर सरकार अपना शिकांजा कसने हेतु कानून भी ला रही है। इसके अलावा शिक्षा विभाग मे जाँली मार्कशीट, प्रमाणपत्र, डिग्री का धन्धा भी जोरों से चल है यह धन्धा पहले से चला आ रहा है। आज म०प्र०के इन्दोर शहर में जाँली दस्तावेजों का रेकेट पकड़ाया गया है।ये लोग कोचिंग चलाते थे। जाँली दस्तावेजों का धन्धा आज से नही वर्षों से चल रहा है,सजा भी हुई, संस्पेंड हुए , बहाली भी हुई। वर्ष 1970-75 के बीच की बात है।मार्कशीट व जाँली प्रमाणपत्रों का एक रैकेट पकड़ाया गया था जिसमें माध्यमिक शिक्षा मण्डल भोपाल के अधिकारी ,शिक्षा वि

मंदिरों, मठों, धार्मिक स्थलो की विवादित संपत्ति ।

मंदिर ,मठों ,धार्मिक स्थली पर एकत्रित धन संपत्ति सोना -चांदी जो दान स्वरूप प्राप्त होता है, तथा घरों में रखा हुआ सोना के प्रति सरकार धीरे-धीरे जागरूक हो रही है ।और विज्ञापनों के तहत सलाह दे रही है , लोगों के मन से जो लालच, माया ,ममता निकल नहीं पा रही है। 22-9- 2021 को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का फांसी पर अपने आप को लटकाना ,एक गंभीर सामाजिक विकृति की ओर इशारा करता है। यह विकृति मठ के अंदर मौजूद अपार धन दौलत और संपत्ति का होना है । अखाड़ों में साधु संतों के बीच वर्चस्व की लड़ाई वर्षों से चली आ रही है भारत के रिकॉर्ड में दर्ज 13 का अंक और तारीख भी 22 , अंकों की दुनिया में 4 का अंक अपने आप में विवादित है।      महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या करने से अनेकों सवाल उत्पन्न होंगे । राजनीति भी चलेगी ।प्रकरण पर जांच की जावे गी। आम -जनों का ध्यान आकर्षित करवा कर  राजनीति की जाएगी ।आत्महत्या की रूपरेखा 6 माह से मन में उठती रहती है ,जिसे टाला भी जा सकता है किंतु ऐसे विचारों को यदि हवा दी जाए तो उसे कोई नहीं बचा सकता      इस घटना से अफसोस जताने का समय निकल चुका

"मुहावरो की दुनिया,एक कटु सत्य है "

     आज का शीर्षक है :-"उल्टे चले बाँस बरेली को " पहले पहल तो सब ठीक चल रहा था किंतु अब नही चल रहा है।ठीक उसके विपरीत चल रहा है।अर्थात जो चीज जहां से निर्मित हुई है वही वापिस पहुंच रही है।आए हम तीज त्योहार पर घर की तरफ दौड़ जाते थे और त्योहार एक साथ मनाते थे । वह माहौल धीरे धीरे समाप्त होते जा रहा है। अब बिल्कुल विपरीत हो  रहा है। अतः कहने के तात्पर्य यहां पर यह भी होता है कि जहाँ आपको इज्ज़त, सम्मान ना मिले वहां से निकल जाने मे.ही  भलाई हैं।समय के साथ अपने आपको बदल लेना, चाहिए ।चूंकि समय परिवर्तनशील है। बेरोजगारी, बढ़ती मंहगाई के बोझ का असर सभी लोगों पर पड़ा है। सारी दुनिया अपना और परिवार के बारे मे ही सोंच रही है, भाई-बहन व अन्य रिस्तदारो को भूलता जा रहा है और जो कर रहा है उसमे उसका स्वार्थ छिपा हुआ है, अथवा मजबूर है । "जो कल किसी ओर का था ,वो आज मेरा है वो कल किसी और का होगा" यह प्रचलित कहावत   "सरकार डाल-डाल तो मै पाँत-पाँत "  जिसका अर्थ यह होता है कि- दोनो चलाक और धूर्त है। इस कहावत पर कई प्रश्न बनाए जा सकते हैं वैदान्तू जैसे ऐप भी बनाए हैं।इस  एक कहावत

मीडिया पर एक प्राहर

टीला जमालपुरा भोपाल में एक बड़े परोपकारी दूसरों की खासतौर पर भूतों को की सेवा करने में उन्हें बड़ा सुकून मिलता था वह हमेशा हाथी के मोटे कपड़े सस्ते कपड़े पेंटर पहनते थे पूर्व रा ज्योतिषाचार्य एवं अंक शास्त्री होने के नाते जनों के हिसाब से होना कपड़े पहनते थे उनके फटे पुराने और मोटे कपड़े देखकर कोई भी सरकारी कर्मचारी अधिकारी उनकी ट्रस्ट का काम नहीं करते थे तब संत उन्हें तथा अन्य लोगों को से कहते भाई बात यह नहीं है कि मैं मानता हूं कि एक इंसान को दूसरे इंसान की मदद करनी चाहिए किंतु इसके लिए अपने शरीर का बिल्कुल भी दाल नहीं करना चाहिए यही धर्म कहता है अधिकारी ने हैरान होकर पूछा धर्म की सीख जरा दिखाइए जिसमें यह लिखा है संत ने कहा मेरे पास एक ग्रंथ नहीं है वह तो मैंने लोगों की सेवा करने हेतु भेज दिया कब उस व्यक्ति ने हंसकर कहा कि कि बेशक बेचा जाता है जो ग्रंथ दूसरों की सेवा करने के लिए अपनी चीजों को भेजता है उपदेश देता है उसे बेचने में उससे बेचने में कोई हर्ज नहीं इस ग्रंथ को बेचने में अथवा अन्य जोत से जोत की रकम मिली थी उससे मैंने जरूरतमंदों की जरूर जरूरत पूरी की है उपयोग में आएंगे वह सफर

स्वर्णिम भारत बनाने मे, गाँव, कस्बों की भूमिका.......

गांधी जी की ग्रामीण स्व-रोजगार का ध्यान नही देने के कारण देश की उन्नति संभव नही आज भी वह स्थिति नही बन रही है।कस्बों के काँलेजेस मे छात्रों की कमी होती जा रही है। कोरोना का भय अभी भी निकल पा रहा है। शहर जाने अभी भी लोग डर रहे है अतः इसका लाभ सरकार को उठना चाहिए और गाँव से गांव से कस्बों के लिए   योजना बनाकर लागू करना चाहिए ताकि वहां लोगों को रोज-गार मिल सके और वे बहार जाने से बच सके।गांव हो या फिर शहर हो सभी जगह महगाई बेरोजगारी है। इस तरफ सरकार आखिर अपना ध्यान क्यों नही दे रही है।म०प्र०राज्य इस मामले में शुरू से ही नकारा रहा है।यहाँ पर रोजगार हेतु बड़े संस्थान, फैक्ट्री, कम्पनी नहीं है जो गांव गांव जाकर गांधी ग्रामीण स्वराज योजनाओं पर कार्य कर सके ऐसी पहल यहाँ के नेताओं ने की ही नहीं ,वे अपनी कुर्सी बचाने मे ही रहे इसी वजय से गुरूजीसत्यवादी श्रीरामधुन  ने कहा है कि "प्रदेश का मुखिया गाँव से हो,आदिवासी, हरिजन व छोटे तबके का हो।"

विश्व मे राजनीति की दिशा और दशा

कुछ देशों की मिलीभगत से विश्व में खतरा के बादल मंडराते जा रहे हैं अभी हाल में तालिबानियों का कब्जा अफगानिस्तान पर हुआ है। इसका ज्वलंत उदाहरण माना जा सकता है ।तालिबान आतंकवाद का दूसरा नाम है ।ऐसे में पाकिस्तान का उसको सहयोग देना भी किसी षड्यंत्र को जन्म देता नजर आ रहा है ।इन सब गतिविधियों में चीन की भी अहम भूमिका को जन्म देना भी किसी खतरे की ओर इशारा करती है। इससे मुस्लिम देशों की भी भागीदारी, ज्यादा प्रबल करती है।      अमरीका, ब्रिटेन ,ऑस्ट्रेलिया के बीच एक  रक्षा समझौता ने भी बहुराष्ट्रीय कूटनीतिक संकट खड़ा कर दिया है ।इस समझौते का नाम "आँक्स' अर्थात ऑस्ट्रेलिया,यू के  यू एस ।इसके समझौता  के अनुसार  ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी बनाने की तकनीकी मुहैया कराई जाऐगी ।इस समझौते का एक ओर पहलू - हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत से अमेरिका खासा चिंतित है ।चीन के खिलाफ एक और हथियार बनाया जा रहा है ।चीन छोटी सोच रखने वाला देश है । चीन की बौखलाहट तो समझी जा सकती है "आँक्स" समझौते पर फ्रांस के सख्त रवैया भी देखने को मिल रहा है । फ्रांस ने अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया से

अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में वृद्धजन दिव्यांगों को हर स्तर पर प्रोत्साहित करे ।

     अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में बहु खेल प्रतियोगिता में उम्रदराज व्यक्ति और दिव्यांगों को प्रोत्साहित नहीं करने के कारण ,आज भारत में 19 पदक की बजाए इससे भी अधिक पदक प्राप्त हो सकते थे ।सरकार दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के प्रति सम्मानजनक और समानता का काउंसलिंग और व्यवहार करने के नारे तो खूब लगाती है किंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।      विभिन्न कानून और आज की हो रही बरसात वर्ष 1999 की याद दिला रही है। योजनाओं के अंतर्गत इस वर्ग के लोगों को अवसर सुलभ कराने की कोशिश जरूर की गई लेकिन संस्थागत ढांचागत व व्यवहार संबंधित रुकावट को दूर करने में हमेशा की तरह पीछे रह जाती है।       "कोरोना काल "अवधि में भोपाल मध्य प्रदेश के जिला कलेक्टर महोदय ने" वृद्धजन सुरक्षा अभियान" चलाने की घोषणा की थी जो कागजों में सिमट काउंसलिंग रह गई ट्रस्ट" मां आदिशक्ति दरबार धार्मिक एवं परमार्थ ट्रस्ट", भोपाल ने इस संबंध में कार्य भी किया ,ईमानदारी मेहनत और लगन के साथ किया और उसी सरकार ने आज तक ट्रस्ट की मान्यता अनुदान काउंसलिंग सेवा की स्वीकृति आदि-आदि निशुल्क सेवाएं किए गए कार्यों

गांधी-मोदी विचारक टूस्ट

  माँ आदिशक्ति दर०धार्मिक एवं परमार्थ टूस्ट भोपाल।     आज का सत्यवादी  " आज वैलून एसेंशन डे "पर अटल योजना मे इस प्रकार की समस्याओं का ध्यान दिलाने एवं उसके निराकरण बाबत  तथा( आज गांधी जयंती पर शासन से की गई मांग पर पुन: याद दिलाने बाबत निवेदन करता है ) कि उक्त टूस्ट को मान्यता एवं अनुदान व अन्य मांग की तरफ ध्यान दे। प्रकरण अनु०अधिकारी/तहसीलदार/रजिस्टर वृत बैरागढ़ भोपाल मे दो वर्षो से विचाराधीन है।       इस संबंध मे आवेदक एवं सामाजिक न्याय निशक्तजन विभाग भोपाल द्वारा अनेकों स्मरण पत्र भेजे जा चुके है।      सी एम हेल्पलाइन पर भी प्रकरण दर्ज है।इस प्रकार के  प्रकरण है जिस शासन किसी कारण से ध्यान नहीं दे पाती है और समयसीमा का लाभ उठा कर मृत धोषित कर देती है, नियमो मे परिवर्तन हो जाते तब उन प्रकरणो के पेश करने की तारीख से माना जाऐ। ऐसा करने से सरकार की छवि तो बढ़ेगी ही साथ ही लोगो का विश्वास भी बढ़ेगा, चिरस्थायी सरकार बनने के भी प्रबल योग बनेगे ऐसा मानना है गुरुजीसत्यवादी श्रीरामधुन का ।        इस विभाग द्वारा पहले भी प्रार्थी पंजीयन करने व करवाने मे जन- धन क्षति के साथ-साथ शारारिक,

बगीचा की हत्या

     बहुत समय पहले की बात है ।एक शिक्षक थे । उनका नाम शिव शंकर था अपनी सेवानिवृत्ति होने के बाद उन्हे देश में बढ़ते हुए प्रदूषण के खतरे का आभास हुआ तब उन्होंने सोचा कि अपने घर के चारों और हरियाली लगाने के लिए तरह तरह के पेड़ पौधे लगाए जाएं । इसप्रकार एक बगीचा बना लिया जो अति सुंदर था उन्हें सिर्फ दो शोक थे एक बच्चों की निशुल्क शिक्षा देना और दूसरा बागवानी की प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर इनाम पाना      एक दिन शिव शंकर ने सुबह सुबह अपने धर का दरवाजा खोला और बगीचे में गए तो वहां का दृश्य देखकर सन्न रह गए ।उनके  बगीचे  मे डेहलिया और  गुलदाऊदी के पौधों  साथ साथ छोटे-छोटे पोधे नहीं थे  पूरा बगीचा तहस नहस  हो गया था ,देखकर बड़ा दुख हुआ सोचा कि वह बगीचे में इस तरह के पौधों की हत्या करने वाले को सबक खिलाकर ही रहेंगे ।      आप भी सतर्कता बरतने लगे और बजे बगीचे की रखवाली करने लगे एक दिन उन्होंने देखा कि पड़ोस में रहने वाला 12 13 बरस का एक लड़का पौधे और आर्गन एक रहा था उन्होंने सुरेश को दो तीन कांटे मारे तो उसने रोते हुए बोला मैं अपनी मर्जी से पौधे नहीं उखाड़  रहा हूं।       " तुम्हे पौधे उखाड़